
इंदौर/भोपाल: मध्य प्रदेश सरकार ने इस वर्ष मूंग की फसल को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर न खरीदने का बड़ा फैसला लिया है। इसका कारण है मूंग की खेती में बीड़ी साइड जैसे हानिकारक खरपतवार नाशकों का अत्यधिक उपयोग, जिससे मानव स्वास्थ्य को खतरा हो सकता है। इस निर्णय से लाखों किसानों को अपनी फसल बाजार में खुले दामों पर बेचनी पड़ेगी।
क्या है सरकार का तर्क?
राज्य के कृषि उत्पादन आयुक्त अशोक वर्णवाल ने इंदौर में आयोजित एक संभागीय बैठक में स्पष्ट किया कि किसानों द्वारा मूंग की जल्दी फसल लेने की लालसा में बीड़ी साइड जैसे हानिकारक केमिकल्स का बड़े पैमाने पर उपयोग किया जा रहा है। इन रसायनों का इस्तेमाल स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है, जिस पर मुख्यमंत्री मोहन यादव पहले ही चिंता जता चुके हैं।
किसानों को भारी नुकसान की आशंका
मूंग की सरकारी खरीदी न होने से प्रदेश के करीब 12 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में उत्पादित 120 लाख क्विंटल मूंग अब सीधे बाजार में जाएगी। सरकार द्वारा घोषित ₹8700 प्रति क्विंटल MSP की जगह किसान अब इसे ₹6000-₹7000 प्रति क्विंटल पर बेचने को मजबूर हैं। इससे उन्हें प्रति क्विंटल ₹1700-₹2700 तक का नुकसान हो सकता है।
क्या है बीड़ी साइड और क्यों है चिंता?
बीड़ी साइड एक तेज़ खरपतवार नाशक है, जिसका उपयोग मूंग की फसल को जल्दी पकाने और खेत को साफ करने के लिए किया जाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि इसका अत्यधिक और अनियंत्रित उपयोग न केवल फसल को विषैला बनाता है, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी गंभीर खतरा उत्पन्न करता है। यही कारण है कि सरकार इस बार ऐसी मूंग को MSP पर नहीं खरीदेगी, ताकि यह प्रोत्साहन न बने।
किसान संगठनों और विपक्ष की प्रतिक्रिया
भारतीय किसान संघ और कांग्रेस किसान प्रकोष्ठ ने सरकार के फैसले पर नाराज़गी जताई है। इन संगठनों का कहना है कि सरकार को पॉलिसी बनाकर नियंत्रण करना चाहिए, न कि सीधे खरीदी बंद कर देना। नर्मदापुरम, हरदा, देवास, रायसेन और बैतूल जिलों में किसान आंदोलन की राह पर हैं।
रजिस्ट्रेशन भी नहीं हुआ शुरू
पिछले साल जहां 20 मई से ही MSP पर मूंग खरीदी के लिए रजिस्ट्रेशन शुरू हो गया था, इस बार अब तक कोई प्रक्रिया शुरू नहीं की गई। इससे किसान असमंजस में हैं और उन्हें अपनी मेहनत की फसल औने-पौने दामों में बेचना पड़ रहा है।










