
लखीमपुर खीरी। जिले की तहसील गोला में एक बेहद गंभीर और चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसमें एक किसान परिवार की पुश्तैनी ज़मीन को कथित तौर पर फर्जी कागज़ी दस्तावेजों के जरिए हड़पने का प्रयास किया गया। इस प्रकरण में राजस्व विभाग के कई अधिकारियों की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं। वहीं दूसरी ओर प्रशासन ने भी अपनी तरफ से जवाब पेश किया है, जिससे मामला और उलझ गया है।
सुनियोजित साजिश से छीनी जा रही ज़मीन
ग्राम अशरफ नगर ग्रन्ट, परगना मगदापुर निवासी किसान जसपाल सिंह और उनकी पत्नी मंजीत कौर का आरोप है कि उनकी पुश्तैनी ज़मीन- खाता संख्या 144, गाटा संख्या 267, रकबा 3.238 हेक्टेयर पर फर्जी राजस्व रिपोर्ट के जरिए जबरन कब्जा दिलाने की कोशिश की जा रही है।
किसान दंपति का कहना है कि 21 मार्च 2025 को क्षेत्रीय लेखपाल शोभित शुक्ला ने एक विवादास्पद राजस्व रिपोर्ट तैयार की, जिसे राजस्व निरीक्षक मोहम्मद सलीम ने उसी दिन संस्तुत कर दिया। महज़ तीन दिन के भीतर, 24 मार्च को तहसीलदार सुखवीर सिंह के जरिए यह रिपोर्ट उपजिलाधिकारी विनोद कुमार गुप्ता को भेजी गई, जिन्होंने बिना नोटिस दिए व बिना सुनवाई किए सीधे आदेश जारी कर दिए।
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि रिपोर्ट में पीड़ितों की सहमति दर्शाने के लिए कथित तौर पर फर्जी हस्ताक्षर किए गए। जसपाल सिंह का दावा है कि उन्होंने कभी किसी दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर नहीं किए, और न ही किसी सहमति की जानकारी उन्हें दी गई। इससे पूरे प्रकरण में सुनियोजित जालसाजी की आशंका जताई जा रही है।
पीड़ितों का आरोप- जबरन कब्जे की कोशिश
परिवार के अनुसार, उन्हें इस घोटाले की जानकारी तब हुई जब 31 मार्च 2025 को अमृत सिंह और उनके पिता सुरेन्द्र सिंह उनके खेत पर पहुंचे और ‘सरकारी आदेश’ दिखाकर जमीन पर कब्जा करने की कोशिश की। पीड़ितों ने जब तहसील में रिकॉर्ड खंगाला, तो पता चला कि उनकी ज़मीन ही सरकारी अभिलेखों में किसी और के नाम दर्ज कर दी गई है।
इसके बाद जसपाल सिंह ने जिलाधिकारी को एक लिखित शिकायत सौंपते हुए इस पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। उन्होंने लेखपाल से लेकर उपजिलाधिकारी तक कई अधिकारियों पर मिलीभगत का आरोप लगाया है और दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की है।
प्रशासन का पक्ष : सरकारी जमीन पर कब्जे का प्रयास
मामले में जब उपजिलाधिकारी (एसडीएम) विनोद कुमार गुप्ता से संपर्क किया गया, तो उन्होंने बताया, “मैं कुछ दिनों से क्षेत्र से बाहर था, पर प्रारंभिक जानकारी के अनुसार राजस्व टीम को पैमाइश के दौरान विपक्षी पक्ष द्वारा रोका गया और सरकारी कार्य में बाधा डाली गई, जिसके आधार पर विधिक कार्रवाई की गई है।”
वहीं, मौके पर मौजूद नायब तहसीलदार सर्वेश कुमार का कहना है कि “विवादित गाटा संख्या की ज़मीन सरकारी बताई जा रही है और पैमाइश के दौरान विपक्षी जनों ने बाधा उत्पन्न की। पुलिस ने मौके पर एक संदिग्ध बुलेट बाइक भी देखी, जिसके कागज़ मांगने पर नहीं दिखाए गए। इस पर विधिक कार्रवाई करते हुए मुकदमा दर्ज कराया गया है।”
प्रशासन ने यह भी स्पष्ट किया है कि अभी पैमाइश प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई है और ज़मीन पर कोई निर्माण कार्य नहीं तोड़ा गया है। पैमाइश पूरी होने के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी।
सवालों के घेरे में प्रक्रिया, निष्पक्ष जांच की मांग
हालांकि, पीड़ित परिवार की ओर से यह सवाल उठाया जा रहा है कि जब ज़मीन को लेकर विवाद स्पष्ट है, तो बिना किसी पूर्व सूचना और उनकी उपस्थिति के कैसे निर्णय पारित किया गया? उनका आरोप है कि उपजिलाधिकारी ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर निर्णय लिया, जो न्याय प्रक्रिया का उल्लंघन है।
यह भी पढ़े : Sikkim Landslide : सिक्किम में बाढ़ से तबाही, 6 जवान लापता, 1,678 पर्यटकों को निकाला गया