कानपुर सांसद रमेश अवस्थी और हिंदुस्तान ग्रुप के CEO दे रहे हैं संरक्षण? क्या योगेंद्र मिश्रा को बचा रहें शशि शेखर

कानपुर : आयकर विभाग लखनऊ में तैनात IRS अधिकारी योगेन्द्र कुमार मिश्रा का मामला एक बार फिर चर्चा में है, लेकिन इस बार केवल विभागीय दायरे में नहीं, बल्कि राजनीतिक और मीडिया हलकों में भी। एक मार्च 2025 को जब उनके विरुद्ध विभागीय कारण बताओ नोटिस जारी हुआ, तो उन्होंने जांच से बचने के लिए व्हाट्सएप पर धमकी भरे संदेश भेजकर वरिष्ठ अधिकारियों को सीधा निशाना बनाया।

इन संदेशों में उन्होंने चेतावनी दी कि यदि कार्रवाई नहीं रोकी गई, तो वे मामला वित्त मंत्री, CBDT, और IRS एसोसिएशन (राष्ट्रीय स्तर) तक पहुंचाएंगे। उन्होंने खुद को “whistleblower” बताते हुए दावा किया कि उनके पास विभागीय अनियमितताओं के साक्ष्य हैं, जिन्हें वह मीडिया के ज़रिये उजागर कर सकते हैं।

लेकिन अब तक उन्होंने कोई साक्ष्य विभाग या जांच अधिकारियों को नहीं सौंपा है। उनके सभी आरोप झूठे, निराधार और भ्रामक साबित हुए हैं, जिनका उद्देश्य केवल एक है- कार्रवाई से बचना। विभागीय अधिकारियों के अनुसार, योगेश मिश्रा पहले भी जांचों से बचने के लिए दबाव, झूठ और ब्लैकमेलिंग की रणनीति अपनाते रहे हैं। उन्हें अब आदतन अनुशासनहीन और अफवाह फैलाने वाला अधिकारी माना जा रहा है।

व्हाट्सएप संदेशों में उन्होंने जिन प्रभावशाली व्यक्तियों और संस्थाओं का नाम लिया, उनमें शामिल हैं:
• रामेश अवस्थी, सांसद, कानपुर
• शशि शेखर, CEO, हिन्दुस्तान ग्रुप
• RSS, जिससे वैचारिक जुड़ाव होने का दावा किया गया
• स्वयं की पत्नी, जो PCS अधिकारी हैं

अब यह सवाल प्रमुखता से उठ रहा है कि क्या इन प्रभावशाली व्यक्तियों में से कोई वास्तव में श्री योगेन्द्र मिश्रा को संरक्षण दे रहा है? क्या शशि शेखर जैसे वरिष्ठ मीडिया पदाधिकारी इस पूरे प्रकरण में उनका बचाव कर रहे हैं? विभागीय सूत्र इस संभावना से इनकार नहीं कर रहे हैं कि इन नामों को बार-बार उछालना केवल प्रभाव डालने की चाल नहीं थी, बल्कि एक योजनाबद्ध रक्षा-रणनीति का हिस्सा भी हो सकता है।

विशेष रूप से RSS का उल्लेख, जिसे श्री मिश्रा ने खुद से जोड़ा, विभागीय हलकों में एक साज़िश के रूप में देखा जा रहा है, जिससे संगठन को वैचारिक रूप से विवादों में घसीटा जाए। यह सोची-समझी रणनीति प्रतीत होती है कि जब तथ्यों से बचाव संभव न रहा, तो संस्थाओं और संगठनों के नाम लेकर जांच को भटकाया जाए।

अब विभाग इस पूरे मामले की रिपोर्ट CBDT और सतर्कता निदेशालय को भेज रहा है। विभाग के भीतर यह मत तेज़ हो गया है कि ऐसे अधिकारी, जो बार-बार झूठ बोलकर, नाम लेकर और संस्थाओं को बदनाम कर कार्रवाई से बचते रहे हैं, उनके विरुद्ध कड़ी और उदाहरणीय कार्रवाई की जाए, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी व्यक्ति प्रभाव, भय और अफवाह के ज़रिए संस्थागत प्रक्रिया को न तोड़ सके, न चुनौती दे सके।

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