
कानपुर। कथित तौर पर दागी वकीलों पर सितम और रहम के मुद्दे पर खेमेबंदी में बंटी कचहरी में शनिवार को इंकलाब गूंजा, लेकिन आवाज तनिक कमजोर थी। कारण यह कि, बॉर एसोसिएशन ने हड़ताल को गैरजरूरी और नियम-कायदों के खिलाफ बताते हुए विरोध-प्रदर्शन से दूरी का ऐलान कर दिया था। ऐसे में अधिवक्ता भी अपने-अपने झंडाबरदार के साथ कदमताल करते हुए इंकलाब में शामिल हुए अथवा दूर खड़े होकर तमाशा देखते रहे। लायर्स एसोसिएशन की हड़ताल का असर कुछेक अदालतों में नजर आया, जबकि सिविल और पारिवारिक अदालतों में हड़ताल बेअसर दिखी। हड़ताल को कामयाब बनाने के लिए लायर्स महामंत्री अभिषेक तिवारी ने कचहरी परिसर में जन-समर्थन जुटाने का भरसक प्रयास किया।
हाईलाईट्स:
- बॉर एसोसिशन ने नाराजगी जताते हुए हड़ताल से किया परहेज
- लायर्स एसोसिएशन समर्थक वकीलों ने घूम-घूमकर मांगा समर्थन
- स्टांप वेंडर्स और फोटोकॉपी दुकानदारों के बीच उहापोह की स्थिति
बॉर एसोसिएशन नाराज, हड़ताल से परहेज
लायर्स एसोसिएशन ने हड़ताल का फैसला करते हुए बॉर एसोसिएशन को चिट्ठी भेजकर सूचना भेजी तो तौहीन समझकर हड़ताल का विरोध करने का ऐलान कर दिया गया। बॉर एसोसिएशन अध्यक्ष इंदीवर बाजपेई का कहना है कि, परंपरा के अनुसार बॉर और लायर्स की संयुक्त सभा में हड़ताल का फैसला होता है। लायर्स एसोसिएशन ने विश्वास में लिये बगैर हड़ताल का ऐलान किया है तो समर्थन का सवाल पैदा नहीं होता है। बॉर महामंत्री अमित सिंह ने कहाकि, अव्वल लायर्स एसोसिएशन ने इकतरफा फैसला किया, दूसरा 31 मई को सिविल और पारिवारिक अदालतों में कामकाज का आखिरी दिन था, ऐसे में वादकारियों के हित में हड़ताल करना न्यायसंगत नहीं था। तीसरी सबसे अहम बात- फिलहाल ऐसा कोई मुद्दा नहीं है, जिसके कारण हड़ताल करना जरूरी था। इन्हीं तीन विषयों के कारण बॉर एसोसिएशन ने हड़ताल और विरोध प्रदर्शन से परहेज किया।
हड़ताल की कामयाबी के लिए गांधीगीरी
लायर्स एसोसिएशन के महामंत्री अभिषेक तिवारी ने हड़ताल का कामयाब बनाने के लिए टकराव के बजाय गांधीगीरी का रास्ता अपनाया। बॉर एसोसिएशन से सीधे मुकाबिल होने के परहेज करते हुए अभिषेक तिवारी ने 300 अधिवक्ता साथियों के साथ कचहरी में घूम-घूमकर हाथ जोड़कर अनुनय-विनय के जरिए अधिवक्ताओं और स्टांप वेडर्स से समर्थन मांगा। दावा है कि, अधिकांश साथियों ने एक दिवसीय हड़ताल को समर्थन दिया और आग्रह के बाद कामकाज बंद कर दिया। अभिषेक के मुताबिक, मनुहार करने के बाद ज्यादातर अदालतों में विधिक कार्य के बजाय वादकारियों को अगली तारीख देकर लौटा दिया गया। उधर, बॉर एसोसिएशन कार्यालय के बाहर सूचनापट पर हड़ताल को गैरजरूरी साबित करने के लिए शनिवार को कामकाज करने को आवश्यक बताते हुए न्यायिक कार्य जारी रहने की सूचना चस्पा हुई थी।
पुलिस से अधिवक्ताओं को ज्यादा नाराजगी
दरअसल, कचहरी के तमाम अधिवक्ताओं की शिकायत है कि, चुनिंदा चेहरों से निजी रंजिश के कारण खाकी वर्दी ने तमाम अधिवक्ताओं को फर्जी मुकदमों में फंसाने की साजिश रची है। बीते पखवारे से पुलिस प्रशासन से मोर्चाबंदी के दरमियान कूटनीतिक युद्ध शुक्रवार को प्रधानमंत्री के कानपुर दौरे से फ्रंटलाइन पर पहुंच गया है। मुलाकात का समय नहीं मिलने की स्थिति में लायर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष और महामंत्री ने मानव ऋंखला बनाकर विरोध जताने की ठानी थी, लेकिन पुलिस ने अध्यक्ष-महामंत्री को सुबह-सुबह घर में नजरबंद कर दिया। ऐसे में विरोध-प्रदर्शन नाकाम हुआ, लेकिन आमने-सामने की जंग का शंखनाद कर दिया गया। इसी परिपेक्ष्य में सिविल-पारिवारिक अदालतों में ग्रीष्मकालीन अवकाश से शुरु होने के एक दिन पहले लायर्स एसोसिएशन ने हड़ताल का ऐलान किया था।
दावे हैं दावों का क्या, 145 दाखिले हुए
कानपुर। यह तो अधिवक्ता और कचहरी समझे कि हड़ताल कितनी कामयाब हुई, अथवा हड़ताल का विरोध कितना असरदार था। अलबत्ता शनिवार को विभिन्न अदालतों में कुल मिलाकर 145 नये वाद दाखिल किये गये। विभिन्न अदालतों में एक दर्जन से ज्यादा जमानत याचिकाओं पर फैसला सुनाया गया। इसके अतिरिक्त अधिकांश कोर्ट में नियमित रूप से कामकाज का दावा किया गया है। सामान्य दिनों में सिविल मामलों के 40-45 दाखिले होते हैं, जबकि पारिवारिक अदालतों में 30-35 दाखिले रिकार्ड किये जाते हैं।
दरअसल, सिविल और पारिवारिक अदालतों में पहली जून से ग्रीष्मकालीन अवकाश शुरू होगा, ऐसे में प्रत्येक वर्ष मई के अंतिम कार्यदिवस में सिविल-पारिवारिक अदालतों में कतिपय कारणों से बड़े पैमाने पर नए केस दाखिल होते है। इसी रवायत के कारण बॉर एसोसिएशन को मई के अंतिम कार्यदिवस पर हड़ताल से परहेज था। उपलब्ध आकड़ों के मुताबिक, शनिवार को सिविल जज सीनियर डिवीजन में 67, जबकि जूनियर डिवीजन में 37 दाखिले हुए हैं। इसी प्रकार पारिवारिक अदालतों में शनिवार को नए दाखिलों की संख्या 41 है।