
मोहम्मद यूनुस बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख बने रहेंगे. ऐसी अटकलें लगाई जा रही थीं कि नोबेल पुरस्कार विजेता यूनुस इस्तीफे पर विचार कर रहे हैं, लेकिन उन्होंने स्पष्ट किया कि वे अपने दायित्वों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं.
सलाहकार परिषद की बैठक में स्थिति स्पष्ट
यूनुस के सलाहकार परिषद की अनिर्धारित बैठक के बाद योजना सलाहकार वहीदुद्दीन महमूद ने कहा, “यूनुस ने कभी यह नहीं कहा कि वे अपने पद से हटेंगे. हालांकि, वे स्वीकार करते हैं कि उन्हें अपने कार्यों को पूरा करने में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन वे इन बाधाओं पर काबू पा रहे हैं.” महमूद ने यह भी बताया कि अंतरिम सरकार के अन्य सलाहकार भी अपनी जिम्मेदारियों से विमुख नहीं होंगे क्योंकि उनकी भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है.
राजनीतिक नेताओं से मिलेंगे यूनुस
यह बैठक यूनुस के बांग्लादेश के प्रमुख राजनीतिक दलों के नेताओं से मुलाकात करने से कुछ घंटे पहले हुई. बताया जा रहा है कि यूनुस ने बीएनपी (बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी) और जमात-ए-इस्लामी के नेताओं से मुलाकात की योजना बनाई है. हालांकि, इस बातचीत का कोई निश्चित एजेंडा सामने नहीं आया है. यूनुस के प्रेस सचिव शफीकुल आलम ने बताया कि इस बैठक में राजनीतिक दलों से समर्थन पाने की कोशिश की जाएगी, क्योंकि पिछले साल देश में व्यापक विरोध प्रदर्शन के बाद यूनुस ने इस पद को संभाला था.
यूनुस की इस्तीफा देने की धमकी
राजनीतिक माहौल के तनाव के बीच, यूनुस ने कथित तौर पर इस्तीफा देने की धमकी भी दी थी. उनका कहना था कि यदि विपक्षी दल उनके काम का समर्थन नहीं करते हैं तो वे पद छोड़ देंगे. हालांकि, अब यह स्पष्ट हो गया है कि वे अपने पद पर बने रहना चाहते हैं और सरकार के काम को पूरा करना चाहते हैं.
बांग्लादेश में बढ़ता राजनीतिक संकट
बांग्लादेश में राजनीतिक संकट गहराता जा रहा है. इस सप्ताह राजधानी ढाका में विरोध प्रदर्शन हुए, जहां बीएनपी के हजारों समर्थकों ने चुनाव की तारीख तय करने की मांग को लेकर मार्च निकाला. बीएनपी का कहना है कि चुनाव की कोई निश्चित तारीख अभी तय नहीं हुई है, जबकि यूनुस सरकार ने जून 2026 तक चुनाव कराने का वादा किया है.
सेना के साथ संबंध भी तनावपूर्ण
सियासी संकट के बीच, यूनुस के सेना के साथ संबंध भी कथित तौर पर खराब हो गए हैं. सेना प्रमुख जनरल वकर-उज-ज़मान ने यह सुझाव दिया है कि चुनाव इस वर्ष दिसंबर तक कराए जाने चाहिए. सेना का यह दबाव सरकार पर और राजनीतिक अस्थिरता को बढ़ावा दे रहा है.
आगे का रास्ता और चुनौतियां
राजनीतिक दलों के बीच समर्थन जुटाने और चुनाव की तारीख तय करने के लिए यूनुस की मेहनत अब और बढ़ गई है. देश में बढ़ती राजनीतिक अस्थिरता के कारण सरकार और सेना के बीच तालमेल बनाए रखना चुनौतीपूर्ण हो गया है. साथ ही, जनता की उम्मीदें भी बढ़ी हैं कि चुनाव समय पर होंगे और लोकतंत्र की प्रक्रिया को मजबूत किया जाएगा. है कि चुनाव दिसंबर तक करा लिए जाने चाहिए.