
मवाना / मेरठ । आजाद समाज पार्टी के सद्भावना सम्मेलन में शामिल होने मेरठ से मवाना पहुंचे सात युवकों में से दो की नहर में डूबकर दर्दनाक मौत हो गई। हादसे के बाद सवाल उठने लगे कि जिनकी रैली में यह युवा पहुंचे थे, वे नेता कहां हैं? क्या उनकी कोई जिम्मेदारी नहीं बनती?
हादसे पर उभरे सवाल – कौन जिम्मेदार ?
बीते बुधवार को मेरठ के सदर बाजार क्षेत्र के मोरगंज भूसा मंडी निवासी सुहैल पुत्र शहजाद और फरमान पुत्र सुलेमान रैली में शामिल होने मवाना पहुंचे थे। शाम को साथियों के साथ नहर में नहाते वक्त दोनों डूब गए। तीन साथियों को बचा लिया गया, लेकिन सुहैल और फरमान की तलाश के लिए दो दिन तक सर्च अभियान चलाना पड़ा।
इस हादसे के बाद से स्थानीय लोगों और मृतकों के परिजनों ने सवाल उठाने शुरू कर दिए:
- जिलाध्यक्ष और महानगर अध्यक्ष कहां हैं?
- जिसने रैली कराई, वह हादसे के बाद मौके पर क्यों नहीं पहुंचा?
- सांसद चंद्रशेखर आज़ाद का इस पर कोई बयान क्यों नहीं आया? क्या उनकी कोई नैतिक जिम्मेदारी नहीं बनती?
- रैली में जिस तरह का हुड़दंग हुआ, क्या उस पर कोई पार्टी जिम्मेदार नहीं है?
पार्टी जिलाध्यक्ष चरण सिंह का जवाब – हम पहले दिन से साथ हैं
इन सवालों पर आजाद समाज पार्टी के जिलाध्यक्ष ने बयान जारी करते हुए कहा,
“पार्टी के पदाधिकारी हादसे वाले दिन से पीड़ित परिवार के साथ हैं। उसी दिन मवाना नहर पर जाकर हमने रेस्क्यू अभियान में सहयोग किया और रात तक मौके पर मौजूद रहे। मैं स्वयं और महानगर अध्यक्ष मोहम्मद अनस दो दिनों तक मवाना में परिवारों से मिलने पहुंचे।”
जिलाध्यक्ष चरण सिंह ने यह भी बताया कि जब सुहैल का शव बरामद हुआ तो पार्टी के जिला और प्रदेश कमेटी के सदस्य परिजनों से मिलने पहुंचे।
“दूसरे युवक फरमान का शव मिलने के बाद हम फिर दोनों परिवारों से मिले और उन्हें हर संभव सहयोग का आश्वासन दिया।”
राष्ट्रीय अध्यक्ष से कराई गई फोन पर बात
जिलाध्यक्ष चरण सिंह ने बताया कि पीड़ित परिवार की बात राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर आज़ाद से फोन पर कराई गई।
“जिला अध्यक्ष चरण सिंह ने परिजनों को आश्वासन दिया है कि वे 28 मई को मेरठ आकर खुद मुलाकात करेंगे और पार्टी की तरफ से जो भी संभव मदद होगी, वह की जाएगी।”
हुड़दंग के वीडियो वायरल होने के बाद पार्टी के पदाधिकारी हुडदंग की बात से नकार रहे है।
रैली में युवाओं द्वारा हुड़दंग और कपड़े उतारकर नाचने के आरोपों पर जिलाध्यक्ष चरण सिंह ने साफ इंकार किया है।
“रैली में कोई हुड़दंग नहीं हुआ था। कुछ युवा चंद्रशेखर आजाद जी के प्रति उत्साहित थे, इसलिए फोटो खिंचवाने के लिए स्टेज पर चढ़ गए थे। इसे गलत तरीके से प्रचारित किया गया है।”
समाज में सवाल और राजनीति में चुप्पी
दो युवकों की दर्दनाक मौत के बाद जहां परिवारों में मातम पसरा है, वहीं स्थानीय लोगों में नाराजगी भी साफ झलक रही है। सवाल यह भी उठ रहा है कि बड़ी-बड़ी रैलियों में भीड़ जुटाने वाले नेता हादसे के बाद चुप क्यों हैं? क्या सिर्फ समर्थन लेना ही उनका दायित्व है ?
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