अयोध्या पहुंचा शहीद लेफ्टिनेंट शशांक तिवारी का पार्थिव शरीर, सैन्य सम्मान के साथ दी गई श्रद्धांजलि

अयोध्या : देश ने एक और वीर सपूत को खो दिया। मात्र 23 वर्ष की आयु में लेफ्टिनेंट शशांक तिवारी ने अपने कर्तव्य का निर्वहन करते हुए सर्वोच्च बलिदान दिया। उत्तर सिक्किम में ऑपरेशनल ड्यूटी के दौरान एक साथी सैनिक की जान बचाते हुए उन्होंने अपनी जान गंवा दी।

शनिवार शाम उनका पार्थिव शरीर विशेष एयरक्राफ्ट से अयोध्या पहुंचा, जहां सेना की ओर से उन्हें पूरे सैन्य सम्मान के साथ श्रद्धांजलि दी गई। उनका अंतिम संस्कार शनिवार को गदोपुर मझवा गांव में किया जाएगा।

बलिदान की कहानी : साहस की मिसाल

बृहस्पतिवार को लेफ्टिनेंट तिवारी सिक्किम स्काउट यूनिट के एक ऑपरेशन का नेतृत्व कर रहे थे। यह ऑपरेशन सेना की भविष्य की तैनाती के लिए एक महत्वपूर्ण टैक्टिकल ऑपरेटिंग बेस की दिशा में किया जा रहा था।
सुबह करीब 11 बजे, गश्ती दल में शामिल अग्निवीर स्टीफन सुब्बा एक पुल पार करते समय नदी में गिर पड़े। बिना किसी हिचकिचाहट के लेफ्टिनेंट तिवारी ने तेज बहाव में छलांग लगा दी। उनके साथ सैनिक नायक पुकार कटेल ने भी जान की परवाह किए बिना नदी में कूदकर जान बचाने में मदद की।

शशांक ने साथी की जान तो बचा ली, लेकिन खुद तेज धारा में बह गए। उनका पार्थिव शरीर 800 मीटर नीचे सुबह 11:30 बजे बरामद किया गया।

परिवार और गाँव में शोक की लहर

शशांक तिवारी अपने माता-पिता की इकलौती संतान थे। उनके पिता जंग बहादुर तिवारी भारतीय नौसेना से सेवानिवृत्त हैं और इस समय अमेरिका से भारत लौट रहे हैं।
शशांक ने अयोध्या में ही अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की थी। महज़ छह महीने पहले 14 दिसंबर 2024 को वे सेना में शामिल हुए थे। उनके गांव में मातम पसरा है, लेकिन साथ ही उनके बलिदान पर गर्व भी महसूस किया जा रहा है।

देश और राज्य का सम्मान

सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग ने सोशल मीडिया पर श्रद्धांजलि देते हुए लिखा,

“लेफ्टिनेंट शशांक तिवारी के दुखद बलिदान से गहरा दुख हुआ। उनका साहस, कर्तव्य की भावना और देश के प्रति प्रतिबद्धता सदा याद रखी जाएगी।”

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