
इंदौर : मध्यप्रदेश के इंदौर कुटुंब न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए उस महिला की भरण-पोषण याचिका खारिज कर दी, जो अपने पति से बिना पर्याप्त वैधानिक कारण के अलग रह रही थी। हालांकि, न्यायालय ने अवयस्क बच्चों के लिए भरण-पोषण दिए जाने के आदेश अवश्य जारी किए हैं।
कोर्ट का स्पष्ट रुख: पति से अलग रहने का ठोस आधार जरूरी
धीरेंद्र सिंह की अदालत ने कहा कि महिला ने यह सिद्ध नहीं किया कि वह अपने पति से क्यों अलग रह रही है और ऐसे कोई कानूनी रूप से ठोस कारण नहीं प्रस्तुत किए गए, जिससे अलगाव को उचित ठहराया जा सके। इस आधार पर अदालत ने महिला को भरण-पोषण का अधिकारी नहीं माना।
पति पर गंभीर आरोप, लेकिन समय पर रिपोर्ट नहीं
विवाह 2013 में हुआ था। महिला (परिवर्तित नाम: सुलोचना) ने मई 2022 में अपने पति (परिवर्तित नाम: अमन) के खिलाफ पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें दहेज की मांग, मारपीट, गाली-गलौच और घर से निकालने जैसे आरोप लगाए गए थे।
लेकिन अदालत ने यह पाया कि शादी के 9 साल बाद पहली बार शिकायत दर्ज करवाई गई, जबकि महिला ने इससे पहले किसी भी प्रकार की प्रताड़ना की कोई लिखित शिकायत या रिपोर्ट नहीं की थी।
भरण-पोषण में आंशिक स्वीकृति : बच्चों को मिलेगा हक
हालांकि अदालत ने माना कि महिला स्वयं का और अपने बच्चों का भरण-पोषण करने में सक्षम नहीं है और पति ने भी अपनी जिम्मेदारी निभाने में उपेक्षा की है। इसलिए अदालत ने यह निर्देश दिया कि अवयस्क बच्चों को भरण-पोषण राशि प्रदान की जाए।
वकीलों की दलीलें और कोर्ट की पड़ताल
महिला की ओर से अधिवक्ता डॉ. रूपाली राठौर ने कोर्ट को बताया कि महिला आयहीन है और पति द्वारा उपेक्षित की जा रही है। वहीं, पति की ओर से अधिवक्ता कृष्ण कुमार कुन्हारे ने तर्क दिया कि महिला ने झूठे और मनगढ़ंत आधार पर मुकदमा किया है।
कोर्ट में हुई जिरह के दौरान कई महत्वपूर्ण तथ्य उजागर हुए, जिनसे अदालत इस निष्कर्ष पर पहुँची कि पत्नी का पति से अलग रहना कानूनी दृष्टि से उचित नहीं है।
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न्यायिक मिसाल: बिना वैध कारण अलग रहने वालों के लिए संकेत
यह फैसला उन मामलों के लिए नजीर बन सकता है जहां पति-पत्नी के बीच संबंध बिगड़ने के बाद केवल आर्थिक लाभ के लिए बिना उचित कानूनी कारण के भरण-पोषण की मांग की जाती है।
कुटुंब न्यायालय का यह निर्णय दर्शाता है कि विवाहिक विवादों में न्यायालय संतुलन बनाते हुए केवल उन्हीं को राहत देता है, जो न्यायिक प्रक्रिया का सही और ईमानदार तरीके से पालन करते हैं।