
ग्वालियर, मध्य प्रदेश : सेना में तैनात जवान देश की सीमा पर अपने परिवार से दूर रहकर भारत की रक्षा कर रहे हैं। लेकिन जब उनका परिवार ही न्याय के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहा हो, तो यह सवाल उठता है कि सैनिकों को उनके सम्मान का हक कब मिलेगा? ऐसा ही एक मामला ग्वालियर में सामने आया है, जहां सेना के जवान की पत्नी ने जमीन धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए पुलिस से मदद की गुहार लगाई है।
सैनिक की पत्नी का आरोप : 15 लाख रुपये की धोखाधड़ी
आकांश सिकरवार, जो कि सेना में तैनात सैनिक प्रदीप सिकरवार की पत्नी हैं, ने बताया कि डेढ़ साल पहले उन्होंने कुछ प्रॉपर्टी ब्रोकरों से एक प्लॉट खरीदा था। यह जमीन खरीदने के लिए उन्होंने कुल 15 लाख रुपये दिए थे, लेकिन अब तक न तो जमीन की रजिस्ट्री करवाई गई है और न ही उनकी रकम वापस की जा रही है। आकांश का आरोप है कि जय सिंह तोमर, सुनील राजौरिया, सुमित गुप्ता, भारती राजौरिया जैसे प्रॉपर्टी ब्रोकरों ने उन्हें धोखा दिया।
राजीनामा का दबाव और पुलिस से अनसुनी
आकांश ने बताया कि, उनके पति प्रदीप सिकरवार वर्तमान में कश्मीर में तैनात हैं, और इस मामले में शिकायत के बाद भी पुलिस द्वारा कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। महिला ने छह महीने पहले महाराजपुरा थाना में शिकायत दी थी, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके अलावा, आरोपियों ने उन्हें लगातार राजीनामा करने के लिए दबाव भी डाला। उनकी शिकायतों के बावजूद पुलिस इस मामले में कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है।
सीएसपी का बयान
सीएसपी नगेंद्र सिंह सिकरवार से इस मामले पर बातचीत की गई तो उन्होंने कहा,
“महिला की शिकायत जमीनी विवाद से संबंधित है, और हम सभी पहलुओं पर गहन जांच कर रहे हैं। शीघ्र ही मामले में उचित कार्रवाई की जाएगी।”
हालांकि, आकांश का कहना है कि कई बार उन्होंने पुलिस में शिकायत की है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है और आरोपी पक्ष लगातार उनके परिवार पर मानसिक दबाव बना रहे हैं।
सैनिकों का सम्मान: एक सवाल
यह घटना इस बात का उदाहरण है कि जब एक सैनिक परिवार के लोग न्याय की उम्मीद में पुलिस के पास जाते हैं, तो उन्हें किस तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। सैनिक के परिवार की सुरक्षा और सम्मान का सवाल सिर्फ सीमाओं तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि यह घरेलू मुद्दों तक भी पहुंचता है, जहां प्रशासन को पूरी जिम्मेदारी से कार्य करना चाहिए।
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आकांश की शिकायत के बाद अब यह देखना होगा कि पुलिस द्वारा की जा रही जांच मामले को सही दिशा में लेकर जाती है या यह फिर भी लंबित रहता है। प्रदीप सिकरवार और उनके परिवार को न्याय की उम्मीद है, और यह उनकी न्याय की लड़ाई में एक नया अध्याय है।










