
क्रॉसर
बहेड़ी में सत्ता संघर्ष ने खोली भाजपा की भीतरी कलह
‘दुर्योधन’ शब्द बना बवाल की जड़, राजनीति बन गई निजी हमलों की ज़मीन
भास्कर ब्यूरो
बरेली/बहेड़ी। बहेड़ी की राजनीति में इस वक्त सत्ता और साख की टक्कर ने तूल पकड़ लिया है। बरेली से भाजपा सांसद छत्रपाल सिंह गंगवार और उनके भतीजे दुष्यंत गंगवार को माफिया कहने का खामियाजा अब पूर्व ब्लॉक प्रमुख के पति चौधरी आराम सिंह को भुगतना पड़ रहा है। उत्तराखंड में दिए गए एक बयान के बाद अब पूरा घटनाक्रम कानूनी मोड़ ले चुका है। सांसद के भतीजे दुष्यंत ने मानहानि और धमकी देने के आरोप में देवरनियां थाने में एफआईआर दर्ज करा दी है।
यह मामला महज एक टिप्पणी का नहीं है, बल्कि भाजपा की अंदरूनी राजनीति और गुटबाजी की एक परत को भी उजागर करता है। दुष्यंत गंगवार की पत्नी दमखोदा ब्लॉक प्रमुख हैं और वह खुद भी राजनीतिक रूप से सक्रिय हैं। वहीं चौधरी आराम सिंह, पूर्व ब्लॉक प्रमुख के पति हैं और खुद को पुराने भाजपा कार्यकर्ताओं में गिनवाते हैं।
बहेड़ी में एक कार्यक्रम के दौरान चौधरी आराम सिंह ने सांसद के भतीजे दुष्यंत गंगवार पर बेहद तीखी टिप्पणी करते हुए उन्हें “भूमाफिया”, “बच्चा माफिया” और “दुर्योधन” कह डाला। इतना ही नहीं, उन्होंने सांसद छत्रपाल सिंह पर भी गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि वह अपने भतीजे को राजनीतिक और प्रशासनिक संरक्षण दे रहे हैं।
यह बयान सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया। वीडियो में आराम सिंह का तेवर साफ दिख रहा है। उन्होंने मंच से खुलेआम दुष्यंत को भ्रष्टाचार में लिप्त बताया और धमकाने तक के आरोप लगाए। जब यह वीडियो सांसद और उनके समर्थकों तक पहुंचा, तो बवाल तय था।दुष्यंत गंगवार द्वारा दर्ज कराई गई रिपोर्ट में कई गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज हुआ है। शिकायत में कहा गया है कि आराम सिंह ने झूठे आरोपों से उनकी और उनके चाचा सांसद छत्रपाल सिंह की समाज में छवि खराब करने की साजिश की है। साथ ही यह भी दावा किया गया कि जब दुष्यंत के कुछ लोग आराम सिंह को समझाने गए तो उन्हें गालियां दी गईं, जान से मारने की धमकी दी गई और बीस लाख रुपये की रंगदारी मांगी गई।
ये आरोप न केवल मानहानि के नहीं हैं, बल्कि सीधे तौर पर धमकी, रंगदारी और साजिश के दायरे में आते हैं। एफआईआर के आधार पर पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। हालांकि अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है।
बहेड़ी की राजनीति में यह पहला मौका नहीं है जब भाजपा के दो गुट आमने-सामने आए हों। चौधरी आराम सिंह और गंगवार परिवार के बीच खींचतान पुरानी है, लेकिन इस बार मामला खुलकर सामने आया है। एक तरफ सांसद के परिवार की सत्ता में पकड़ है, तो दूसरी ओर आराम सिंह अपने पुराने अनुभव और क्षेत्रीय पकड़ के बल पर खुद को दबंग नेता मानते हैं।
आराम सिंह के बयान को उनके समर्थक “सच बोलने का साहस” बता रहे हैं, जबकि भाजपा संगठन इसे “अनुशासनहीनता” मान रहा है। इस पूरे घटनाक्रम से भाजपा की अंदरूनी कलह सामने आ गई है।
सोशल मीडिया पर वायरल हुआ वीडियो अब भाजपा की किरकिरी का कारण बन रहा है। विपक्षी दल इस मौके को भुनाने में जुट गए हैं। कई विपक्षी नेताओं ने ट्वीट कर कहा है कि भाजपा अपने ही नेताओं को माफिया कह रही है, फिर जनता से क्या अपेक्षा की जा सकती है?
वीडियो में आराम सिंह का आक्रोश, नाम लेकर की गई टिप्पणी और भाषा की तीव्रता यह साफ करती है कि मामला महज आरोप-प्रत्यारोप का नहीं, बल्कि गहरे राजनीतिक द्वंद्व का परिणाम है। भाजपा की आला कमान को अब इस मामले में हस्तक्षेप करना पड़ सकता है।
बहेड़ी विधानसभा और दमखोदा ब्लॉक क्षेत्र में यह विवाद आने वाले पंचायत व निकाय चुनावों पर असर डाल सकता है। एक ओर सांसद के समर्थकों की संगठित टीम है, तो दूसरी ओर पुराने कार्यकर्ता जो खुद को उपेक्षित मानते हैं, वे अब खुलकर विद्रोह की मुद्रा में हैं।