डॉ. हरिसिंह गौर की जीवनी अब स्कूली पाठ्यक्रम में होगी शामिल, विश्वविद्यालय प्रशासन ने भेजा प्रस्ताव

सागर :  मध्यप्रदेश के सागर स्थित डॉ. हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय अब एक नई पहल के तहत बुंदेलखंड के गौरव डॉ. हरिसिंह गौर के प्रेरणादायक जीवन और उनके महान योगदान को स्कूली शिक्षा से जोड़ने जा रहा है। इसके लिए विश्वविद्यालय प्रशासन ने एक प्रस्ताव मध्यप्रदेश शासन को भेजने की तैयारी शुरू कर दी है।

छात्र पढ़ेंगे महान शिक्षाविद् की जीवनी

डॉ. गौर ने अपनी समस्त जीवन भर की पूंजी से देश की स्वतंत्रता से पहले ही सागर विश्वविद्यालय की स्थापना की थी। वे न केवल एक महान शिक्षाविद् थे, बल्कि विधि, साहित्य और समाज सेवा के क्षेत्र में भी उनका योगदान अमूल्य रहा है।

गौर पीठ समिति की बैठक में यह निर्णय लिया गया कि उनकी जीवनी को मप्र के स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किए जाने की अनुशंसा की जाएगी। बैठक की अध्यक्षता कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने की।

गौर पीठ समिति की अहम बैठक में लिए गए निर्णय

  • विश्वविद्यालय के शिक्षकों द्वारा डॉ. गौर की जीवनी पर आधारित प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है।
  • यह प्रस्ताव जिला शिक्षा विभाग के माध्यम से शासन को भेजा जाएगा।
  • डॉ. गौर के जीवन से जुड़े निबंध, भाषण, व्याख्यान, पेंटिंग प्रतियोगिताएं स्कूलों और कॉलेजों में कराई जाएंगी।
  • विद्यार्थियों को सागर यूनिवर्सिटी का भ्रमण भी कराया जाएगा ताकि वे गौर जी के योगदान को प्रत्यक्ष रूप से जान सकें।
  • विश्वविद्यालय द्वारा गौर आधारित पाठ्य सामग्री आस-पास के जिलों के स्कूल-कॉलेजों को भेजी जाएगी।

कुलपति का कहना

प्रो. नीलिमा गुप्ता ने कहा,

“डॉ. गौर को भारत रत्न दिलाने के अभियान में सागर नगर, विश्वविद्यालय और जनप्रतिनिधि मिलकर प्रयासरत हैं। उनके योगदान को जन-जन तक पहुँचाने के लिए शैक्षणिक स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं।”

मीडिया अधिकारी ने दी जानकारी

डाॅ. विवेक जायसवाल, मीडिया प्रभारी, ने बताया कि यूनिवर्सिटी ने डॉ. गौर की याद में गौर पीठ की स्थापना की है, जिसके जरिए निरंतर उनके विचारों और योगदान को नई पीढ़ी तक पहुंचाया जा रहा है।

“यह सिर्फ एक अकादमिक पहल नहीं, बल्कि गौरवशाली अतीत से वर्तमान और भविष्य को जोड़ने की एक जिम्मेदारी है।”

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क्यों महत्वपूर्ण है यह पहल?

स्थानीय गौरव के राष्ट्रीय पहचान तक पहुँचने की एक मजबूत कड़ी।

स्कूली छात्रों को लोकल लीजेंड्स से परिचित कराने का सुनहरा अवसर।

शिक्षा, क़ानून और साहित्य के क्षेत्र में भारत के आत्मनिर्भर निर्माण की प्रेरणा।

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