
नैनीताल (उत्तराखंड): हर साल गर्मियों में उत्तराखंड के जंगलों में लगने वाली आग वन विभाग के लिए बड़ी चुनौती बन जाती है। लेकिन इस बार का फायर सीजन उम्मीद से कहीं बेहतर रहा, और इसका श्रेय जाता है मौसम की मेहरबानी के साथ-साथ वन विभाग की समय रहते की गई तैयारी को।
नैनीताल वन प्रभाग के DFO चंद्रशेखर जोशी ने बताया कि इस वर्ष जंगल में लगने वाली आग की घटनाएं पिछले 5 वर्षों की तुलना में 90% कम दर्ज की गई हैं।
आग की घटनाओं पर नियंत्रण: कुछ अहम आंकड़े
- अब तक 32 स्थानों पर आग की घटनाएं दर्ज की गईं।
- कुल 26.6 हेक्टेयर जंगल जल कर राख हुआ।
- इनमें से 28 घटनाएं आरक्षित वन क्षेत्रों में हुईं, जहां 19.6 हेक्टेयर क्षेत्र प्रभावित हुआ।
यह आँकड़ा बताता है कि इस बार जंगलों में होने वाली आग काफी हद तक सीमित और नियंत्रित रही है।
फायर लाइन में आने वाले पेड़ हटाए गए
DFO जोशी ने बताया कि कई बार आग को नियंत्रित करने में बाधा बनने वाले वृक्षों को चिन्हित कर हटाया गया है।
- सुप्रीम कोर्ट की अनुमति के बाद, बड़ोंन रेंज में 2.11 किलोमीटर क्षेत्र में 345 पेड़ काटे गए।
- इसके अलावा 15,506 पेड़ों को चिन्हित किया गया है, जो फायर लाइन में बाधक हो सकते हैं।
यह कदम आग की रोकथाम के दृष्टिकोण से पहली बार इतनी रणनीतिक रूप से उठाया गया है।
गांव-गांव बन रही हैं ‘वन आग नियंत्रण समितियां’
वन विभाग ने इस साल स्थानीय ग्रामीणों को भी वन सुरक्षा में भागीदार बनाया है।
- अब तक नैनीताल के 99 गांवों में 99 फॉरेस्ट फायर समितियां गठित की गई हैं।
- इन समितियों को जंगल की आग बुझाने का प्रशिक्षण भी दिया गया है।
- इनकी सक्रियता से कई छुटपुट आग की घटनाओं को शुरुआती स्तर पर ही नियंत्रित कर लिया गया।
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प्रोत्साहन योजना भी प्रस्तावित
स्थानीय समितियों को प्रोत्साहित करने के लिए विभाग ने एक पहल शुरू की है।
- वन विभाग ने प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा है कि फायर सीजन के दौरान हर समिति को ₹30,000 की प्रोत्साहन राशि दी जाए।
- इसका उद्देश्य है कि स्थानीय लोग जंगलों की सुरक्षा को लेकर और अधिक जिम्मेदारी से कार्य करें।