बिहार में चुनाव से पहले खेला! प्रशांत किशोर के साथ नीतीश कुमार के ‘राम’, जन सुराज से जुड़ी RCP

बिहार में राजनीतिक घटनाक्रमों ने एक बार फिर से हलचल मचा दी है। कभी जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के संगठन को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाने वाले वरिष्ठ नेता रामचंद्र प्रसाद सिंह (आरसीपी सिंह) अब बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर अपने राजनीतिक कदमों में बदलाव कर रहे हैं।

जानकारी के अनुसार, वे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सामने प्रशांत किशोर के नेतृत्व वाली पार्टी ‘जन सुराज’ के साथ खड़े नजर आएंगे। इससे राजनीतिक समीकरणों में नई चर्चा शुरू हो गई है।

आरसीपी सिंह, जो पूर्व में जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं, अब भाजपा छोड़कर अपनी नई पार्टी बनाने की घोषणा कर चुके थे। उन्होंने 31 अक्टूबर 2024 को अपनी नई पार्टी ‘आसा’ (आप सब की आवाज) की स्थापना का भी ऐलान किया था। लेकिन इसके बाद से वे मुख्यधारा से दूर रहते हुए राजनीति के नेपथ्य में चले गए थे। अब वे फिर से सक्रिय हो गए हैं और प्रशांत किशोर की पार्टी ‘जन सुराज’ में शामिल हो गए हैं। यह कदम बिहार की राजनीति में बड़े बदलाव का संकेत माना जा रहा है।

बता दें कि आरसीपी सिंह का राजनीतिक सफर बेहद लंबा और विविधताओं से भरा रहा है। उन्होंने वर्ष 2010 में आइएएस की नौकरी से वीआरएस लेकर राजनीति में प्रवेश किया था। बिहार में उन्होंने जदयू के साथ मिलकर संगठनात्मक स्तर पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी नेता रहे। वह जदयू के संसदीय बोर्ड और राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य भी रहे। केंद्रीय मंत्री पद पर रहते हुए उन्होंने केंद्र सरकार में भी महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाई।

हालांकि, राजनीतिक ऊंचाइयों पर पहुंचने के बावजूद आरसीपी सिंह की महत्वाकांक्षा ने उनके और नीतीश कुमार के बीच मतभेद पैदा कर दिए। राजनीतिक यात्रा के दौरान उन्होंने एनडीए में भी अपनी जगह बनाई, लेकिन अंत में उनके और नीतीश कुमार के बीच दूरी आ गई। जब नीतीश कुमार ने फिर से राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में वापसी की, तो आरसीपी सिंह का भाजपा में रहना बेकार साबित हो रहा था। भाजपा में भी उनकी स्थिति कमजोर हो गई थी, और उन्हें किनारे कर दिया गया था।

इन घटनाक्रमों के बीच प्रशांत किशोर (पीके) ने इस मौके का फायदा उठाया। उन्होंने आरसीपी सिंह को अपने साथ शामिल कर लिया। माना जा रहा है कि प्रशांत किशोर की नजर में, आरसीपी सिंह की बिहार में मजबूत संगठन बनाने की क्षमता और उनका दिग्गज कुर्मी नेता होना, पार्टी के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। दोनों नेताओं के बीच की यह राजनीतिक साझेदारी आगामी बिहार चुनावों के लिए नई रणनीति का संकेत है।

बहरहाल, बिहार की राजनीति में इस नए घटनाक्रम से सत्ता के समीकरण बदल सकते हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आरसीपी सिंह का ‘जन सुराज’ में शामिल होना इस बात को मजबूत करता है कि वे फिर से सक्रिय राजनीति में लौट रहे हैं और अपनी राजनीतिक ताकत का प्रदर्शन करेंगे। इससे बिहार की मुख्य राजनीतिक दलों के बीच नई टक्कर की संभावना बढ़ गई है।

बता दें कि आरसीपी सिंह ने अपनी पार्टी ‘आसा’ की स्थापना का ऐलान दीपावली के अवसर पर किया था, जिसका अर्थ था ‘आप सब की आवाज’। हालांकि, वर्तमान में उन्होंने अपनी योजनाओं को नए सिरे से पुनः तैयार किया है और वे अब प्रशांत किशोर की पार्टी के साथ मिलकर बिहार की राजनीति में नई दिशा देने के लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रहे हैं।

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