
Delhi: 16 मई शुक्रवार को एक समारोह में संस्कृत के विद्वान जगद्गुरु रामभद्राचार्य को 58वें ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू उन्हें इस पुरस्कार से सम्मानित किया।
भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त करते हुए पद्म विभूषण जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने कहा कि मुझे यह पुरस्कार संस्कृत भाषा में दिया जा रहा है मै आपको हार्दिक बधाई, शुभकामनाए प्रेषित करता हूं। मै जीवन पर्यन्त साहित्यिक सेवा करते रहें। मेरी लेखनी से भारत से भारत की उन्नयन में सृजन होता है। लेखक मनोरंजन नहीं करतें हैं। लेखक सदैव साहित्यिक सेवा सृजन करते हैं।
आर०पी० मिश्रा, निजी सचिव कुलाधिपति, जगद्गुरु रामभद्राचार्य दिब्यांग राज्य विश्वविद्यालय ने कहा कि आज का दिन हमारे देश के लिए अत्यंत प्रशंन्नता गौरवशाली है, जहा भारत गणराज्य की महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रोपदी मुर्मू जी ने नई दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में भारत का 58वां ज्ञानपीठ पुरस्कार साहित्यिक सेवा के लिए पद्म विभूषण जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी को प्रदान किया।
यह पुरस्कार साहित्यिक सेवा में अभूतपूर्व योगदान के लिए दिया गया है। यह पुरस्कार संस्कृत भाषा के प्रकांड विद्वान के रूप में आपकी अद्वितीय सेवाओं योगदान को अविस्मरणीय बनाती हैं। पुरस्कार मे शाल श्रीफल, मोमेंटो , मां सरस्वती की प्रतिमा ,नगद पुरस्कार का चेक दिया गया।
इस ऐतिहासिक ज्ञानपीठ पुरस्कार मिलने से जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी के पैतृक गांव शचीपुरम में बंधाई देने वाले लोगों का तांता लगा हुआ है। मिश्रा परिवार में काका के नाम से प्रसिद्ध ब्रम्हदेव मिश्र, और छोटे अनुज आचार्य चंदकांत मणि मिश्र, ओम प्रकाश मिश्र, क्षेत्रीय लोगों मे उमाशंकर सिंह जज साहब, अवधेश सिंह, डा0अरूण कुमार सिंह, डा विनय तिवारी, सुशील मिश्र, डा0 प्रमोद के सिंह, एस0 पी0 मिश्रा, आनंद मिश्र, सुबेदार मिश्रा, अरविंद मिश्र, संतोष मिश्रा, सचिन मिश्रा, शिवम सिंह सहित आदि उपस्थित होकर शुभकामनाए दी। इस आयोजन में देशभर के शिक्षाविद् , प्रसिद्ध महान् शिक्षाविद , भारत के अनेकों विश्वविद्यालय के कुलपति मौजूद रहें।