
काजल सोनी
क्या आपने कभी सोचा है कि अगर बलूचिस्तान पाकिस्तान से अलग हो जाए, तो पाकिस्तान को कितना बड़ा झटका लग सकता है ? भारत – पाकिस्तान के बीच चल रहे तनाव पर शांति की मुहर लग चुकी है. लेकिन इस बीच एक ओर मुद्दा लगातार चर्चा का विषय बनता जा रहा है वो है बलूचिस्तान की आजादी. बताते चलें कि पाकिस्तान के दक्षिण-पश्चिम में स्थित बलूचिस्तान न केवल सबसे बड़ा प्रांत है, बल्कि यही इलाका पाकिस्तान की सुरक्षा के लिए सबसे बड़ी चिंता भी बना हुआ है. यहां दशकों से सशस्त्र विद्रोह चल रहा है जानकारी के मुताबिक बताया जा रहा है कि बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) अब तक पाकिस्तान में 50 से अधिक हमलों की ज़िम्मेदारी ले चुकी है. पाकिस्तान में यह प्रांत क्षेत्रफल के हिसाब से सबसे बड़ा है. इसके भूगर्भीय खजाने और रणनीतिक स्थिति के कारण यह वर्षों से अलगाववाद का केंद्र बना हुआ है.
अब बलूचिस्तान भी पाकिस्तान पर हावी हो रहा है. दरअसल, बलूचिस्तान में एक बार फिर बलूच विद्रोहियों ने पाकिस्तानी सेना और सुरक्षाबलों को निशाना बनाते हुए बड़े पैमाने पर हमले किए हैं. इन हमलों को बलूचिस्तान की आजादी की मांग करने वाले बलूच विद्रोही गुटों ने अंजाम दिया है. कई इलाकों में पाकिस्तानी सुरक्षाबल बैकफुट पर नजर आए और कुछ स्थानों पर सरकारी संस्थानों को आग के हवाले कर दिया गया.बलूचिस्तान पाकिस्तान के लिए कितना जरुरी है इस बात का अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि अगर बलूचिस्तान पाक से अलग हुआ तो उसे कितना बड़ा झटका लगेगा, पाकिस्तान से सोने और तांबे का भंडार तक खत्म हो जाएगा. अनुमान है कि प्रांत में 5.9 बिलियन टन खनिज और सोना और तांबा अप्रयुक्त है, जो पाकिस्तान को आर्थिक रूप से जोखिम में डाल सकता है.
बलूचिस्तान के अलग होने से पाकिस्तान के लिए सुरक्षा और कूटनीतिक संकट पैदा हो सकता है. ईरान और अफ़गानिस्तान से नज़दीक होने के कारण यह प्रांत पाकिस्तान के लिए रणनीतिक गढ़ के रूप में काम करता है. इसके अलावा, चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) के तहत, चीन भी इस क्षेत्र में सक्रिय रूप से शामिल है. अगर बलूचिस्तान अलग होता है, तो पाकिस्तान की सुरक्षा स्थिति और कूटनीतिक प्रभाव दोनों प्रभावित हो सकते हैं.
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अगर वहां की इकोनॉमी को समझने की कोशिश करें तो बलूचिस्तान को पाकिस्तान को फलो की टोकरी भी कहा जाता है. जहां पर चेरी, अंगूर, बादाम, खुबालनी और आड़ू जैसे फलों का प्रोडक्शन होता है.बलूचिस्तान न केवल कृषि में बल्कि पर्यटन में भी अपार संभावनाएं रखता है. वर्ल्ड ट्रैवल एंड टूरिज्म काउंसिल (WTTC) के अनुसार, यात्रा और पर्यटन क्षेत्र वैश्विक अर्थव्यवस्था में 8.3 ट्रिलियन डॉलर का योगदान देता है. बलूचिस्तान में मेहरगढ़ सभ्यता जैसे ऐतिहासिक स्थल, ज़ियारत का कायद-ए-आज़म रेजिडेंसी और दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा जुनिपर जंगल जैसे प्राकृतिक स्थल हैं