
मेरठ। थानाध्यक्ष इंचौली, लावड चौकी प्रभारी सहित पांच पुलिसकर्मियों को SSP ने लाइन हाजिर कर दिया. दो भाइयों के विवाद में बेवजह दखल देना पुलिस को भारी पड़ गया. इस मामले में पुलिसकर्मियों पर मारपीट व लूट का आरोप लगाया गया था। लावड़ कस्बे के खारी कुआं निवासी कविता और उसके परिवार के लोगों को लेकर विधायक एसएसपी ऑफिस पहुंचे.थे और पुलिस उत्पीड़न की शिकायत की थी. सरधना विधायक अतुल प्रधान ने आंदोलन की चेतावनी दे दी थी. पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पुलिस की पिटाई करते हुए का वीडियो भी शेयर किया था।
बता दे कि हाल ही में एसएसपी ने पूरी लावड़ चौकी को सस्पेंड, जबकि थानेदार को लाइन हाजिर कर दिया था, उसके बाद भी थाना व चौकी में तैनात पुलिसकर्मियों में सुधार नहीं देखा जा रहा। सुशील कुमार पुत्र सतपाल निवासी खारी कुआं निवासी लावड़ थाना इंचौली ने ssp से शिकायत की थी कि 07 मई को उसकी अपने भाई के साथ कहासुनी हो गयी थी। जिसके चलते किसी व्यक्ति ने थाने में सूचना दे दी, पुलिस आयी और घरवालों को ले जाने लगी, जबकि यह हमारा आपसी घरेलू विवाद था और थाने या चौकी में शिकायत भी नहीं की थी। विरोध किया तो घर की महिलाएं व वृद्ध माता रोशनी देवी के साथ मारपीट करते हुए लाठीचार्ज कर दिया। उसे व उसकी पत्नी को थाने पर ले गए, जहां फिर से मारपीट की। जबरन सामान छीन लिया गया, पत्नी के कानों के सोने के झुमके व लॉकिट जो पुलिस द्वारा छीना गया। मारपीट में उसकी पत्नी के हाथ टूट गए।
विधायक ने की थी बर्खास्त करने की मांग
ये मामला तूल पकड़ गया. शनिवार को सपा, कांग्रेस और बसपा पदाधिकारियों ने एसएसपी ऑफिस पर धरना दे दिया। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पुलिस की पिटाई करते हुए का वीडियो भी शेयर किया। सपा विधायक अतुल प्रधान, जिलाध्यक्ष पीड़ित परिवार के साथ एसएसपी ऑफिस पहुंचे। उन्होंने पीड़ितों पर दर्ज मुकदमे को लेकर रोष जताया। आरोपी पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने और उन्हें बर्खास्त करने की मांग की। विधायक ने कार्रवाई न होने पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश स्तरीय महापंचायत का ऐलान कर दिया था।
इनको किया गया लाइन हाजिर
मामला हाई प्रोफाइल होते देख रविवार देर रात्रि एसएसपी ने पांच पुलिसकर्मियों को लाइन भेज दिया. थानाध्यक्ष नितिन पाण्डेय, उपनिरीक्षक सुमित गुप्ता, उपनिरीक्षक पवन सैनी और लावड़ चौकी प्रभारी इन्द्रेश विक्रमसिंह सिपाही वसीम पर गाज गिरी है. वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के इस कदम को मामले की निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने और पुलिस विभाग की छवि को बनाए रखने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। घटना की विस्तृत जानकारी अभी आनी बाकी है, लेकिन पुलिस विभाग ने मामले की गंभीरता से जांच करने का आश्वासन दिया है।
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