सीमाओं पर ISRO की डिजिटल चौकसी, ISRO की 10 सैटेलाइट कर रहीं 24×7 पहरा

नई दिल्ली: भारत-पाकिस्तान के बीच चल रहे तनावपूर्ण हालात के बीच इसरो (ISRO) के अध्यक्ष वी. नारायणन का एक अहम बयान सामने आया है। उन्होंने कहा है कि भारत की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए इसरो के 10 उपग्रह रणनीतिक उद्देश्य से चौबीसों घंटे काम कर रहे हैं। यह बात उन्होंने त्रिपुरा के अगरतला में केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय (CAU) के पांचवें दीक्षांत समारोह के दौरान कही।

ISRO प्रमुख ने कहा, “यदि हम अपने देश की सुरक्षा को मजबूत बनाना चाहते हैं, तो हमें सैटेलाइट टेक्नोलॉजी का बेहतर इस्तेमाल करना होगा। हमारे पास लगभग 7,000 किलोमीटर का समुद्री क्षेत्र है जिसकी निगरानी उपग्रह और ड्रोन तकनीक के बिना संभव नहीं है।”

भारत ने अब तक लॉन्च किए 127 उपग्रह

ISRO अब तक 127 भारतीय उपग्रहों को लॉन्च कर चुका है। इनमें सरकारी, निजी और शैक्षणिक संस्थानों के सैटेलाइट शामिल हैं। सरकारी स्वामित्व वाले 22 सैटेलाइट लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) में और 29 जियोसिंक्रोनस ऑर्बिट (GEO) में काम कर रहे हैं। देश के पास लगभग एक दर्जन सर्विलांस या ‘स्पाई सैटेलाइट’ भी हैं — जिनमें कार्टोसैट, रीसैट, EMISAT और माइक्रोसैट जैसे उपग्रह शामिल हैं। ये खास निगरानी मिशनों के लिए बनाए गए हैं।

अगले पांच वर्षों में लॉन्च होंगे 52 उपग्रह

कुछ दिन पहले, भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र (IN-SPACe) के प्रमुख डॉ. पवन कुमार गोयनका ने जानकारी दी थी कि भारत अगले पांच वर्षों में 52 नए उपग्रहों को कक्षा में स्थापित करेगा। इसका मकसद देश की अंतरिक्ष-आधारित निगरानी क्षमता को और अधिक मजबूत करना है। उन्होंने यह भी कहा कि भविष्य में निजी कंपनियों को भी इसमें भागीदारी दी जाएगी।

ये सैटेलाइट भारतीय सेना, नौसेना और वायु सेना को सीमाओं की निगरानी, दुश्मन की गतिविधियों पर नजर रखने और सैन्य अभियानों के समन्वय में मदद करेंगे।

18 मई को लॉन्च होगा EOS-09

ISRO अब 18 मई को एक और उन्नत निगरानी उपग्रह EOS-09 (RISAT-1B) को सूर्य-तुल्यकालिक कक्षा में लॉन्च करने वाला है। यह उपग्रह भारत की संवेदनशील सीमाओं पर निगरानी को और मजबूत करेगा।

“आजादी के 100 साल बाद भारत बनेगा तकनीकी महारथी”

नारायणन ने विश्वास जताया कि जब भारत अपनी आजादी के 100 वर्ष पूरे करेगा, तब वह हर क्षेत्र में एक अग्रणी राष्ट्र बन चुका होगा। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर भारत के विकास में भी ISRO की बड़ी भूमिका है, और यहां कई परियोजनाएं पहले से ही चालू हैं। छात्रों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि डिग्री केवल शुरुआत है — असली जिम्मेदारी समाज को कुछ लौटाने की है।

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