
पद्मश्री से सम्मानित और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के पूर्व महानिदेशक डॉ. सुब्बण्णा अय्यप्पन की रहस्यमयी मौत के बाद संस्था के पूर्व सदस्य वेणुगोपाल बदरावाड़ा ने कोर्ट की निगरानी में CBI जांच की मांग की है। उन्होंने इस घटना को “असमय और संदिग्ध मृत्यु” बताया है और ICAR में गहरे संस्थागत भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं।
संदिग्ध हालात में हुई मौत
डॉ. अय्यप्पन का शव 70 वर्ष की उम्र में कर्नाटक के श्रीरंगपट्टन के पास कावेरी नदी से शनिवार को बरामद किया गया। वह 7 मई से लापता थे और उनका स्कूटर नदी किनारे लावारिस हालत में मिला था। पुलिस को आशंका है कि उन्होंने आत्महत्या की, लेकिन बदरावाड़ा और अन्य लोग इस पर संदेह जता रहे हैं।
बदरावाड़ा की चिट्ठी प्रधानमंत्री को
वेणुगोपाल बदरावाड़ा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को लिखे पत्र में कहा है कि, “डॉ. अय्यप्पन की मौत के हालात बेहद रहस्यमयी हैं और इससे गहरे संस्थागत भ्रष्टाचार का संकेत मिलता है। यह जरूरी है कि पूरे मामले की CBI से कोर्ट-निगरानी में जांच हो।”
ICAR पर गंभीर आरोप
बदरावाड़ा ने अपने पत्र में आरोप लगाया है कि ICAR, ASRB (एग्रीकल्चरल साइंटिस्ट्स रिक्रूटमेंट बोर्ड) और अन्य संबद्ध संस्थाएं भ्रष्टाचार, अनियमित नियुक्तियों और शक्ति के दुरुपयोग से ग्रस्त हैं। उन्होंने कहा कि “जो लोग इन गड़बड़ियों को उजागर करने की कोशिश करते हैं, उन्हें दबा दिया जाता है।”
व्यक्तिगत प्रतिशोध का संकेत
बदरावाड़ा ने दावा किया कि वैज्ञानिक और किसान समुदाय को शक है कि यह मौत संस्थागत प्रतिशोध या प्रशासनिक विफलता का नतीजा हो सकती है। उन्होंने खुद को ICAR की गवर्निंग बॉडी से 5 मई को “एकतरफा और गैरकानूनी तरीके से” हटाए जाने का भी उल्लेख किया।
‘नीली क्रांति’ के जनक थे अय्यप्पन
डॉ. अय्यप्पन देश में मत्स्य पालन क्षेत्र में ‘नीली क्रांति’ लाने वाले प्रमुख वैज्ञानिक माने जाते हैं। वे ICAR के पहले ऐसे महानिदेशक थे, जो गैर-फसल विशेषज्ञ थे। ध्यान और साधना में रुचि रखने वाले अय्यप्पन अक्सर श्रीरंगपट्टन के साईबाबा आश्रम जाया करते थे। उनके परिवार में पत्नी और दो बेटियाँ हैं।
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