DRDO के प्रतिनिधि करेंगे IIT BHU का दौरा, रक्षा तकनीक के 25 प्रोजेक्ट के वैज्ञानिकों से करेंगे वार्ता, जानें खास

भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़े तनाव और भविष्य की रक्षा चुनौतियों के मद्देनज़र, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO ) और इससे जुड़े संस्थानों की भूमिका बेहद अहम हो गई है। इसी कड़ी में आईआईटी-बीएचयू में रक्षा तकनीक से जुड़े कुल 25 प्रोजेक्ट्स पर रिसर्च जारी है, जिनमें से 25 प्रतिशत से अधिक कार्य पूरा हो चुका है। शेष कार्य अगले ढाई से तीन वर्षों में पूर्ण कर लिए जाने की योजना है। इन परियोजनाओं के लिए डीआरडीओ द्वारा इस वर्ष संस्थान को 40 करोड़ रुपये का फंड भी प्रदान किया गया है।

डीआरडीओ प्रतिनिधि करेंगे आईआईटी-बीएचयू का दौरा

प्रोजेक्ट स्तर पर काम कर रहे वैज्ञानिकों से बातचीत करने और आगामी 5 से 10 वर्षों में सामने आने वाली रक्षा चुनौतियों को समझने के उद्देश्य से डीआरडीओ के लैब और प्रोजेक्ट डायरेक्टर स्तर के अधिकारी जल्द ही संस्थान का दौरा करेंगे। इस दौरान वे वर्तमान अनुसंधान की प्रगति की समीक्षा करेंगे और नए समाधान तलाशेंगे।

तकनीकी क्षेत्रों में हो रहा काम

आईआईटी-बीएचयू में मिसाइल तकनीक, आयुध विकास, पाउडर मैटलर्जी, हाई-पावर माइक्रोवेव वेपंस और इलेक्ट्रॉनिक एवं फंक्शनल मटेरियल पर अनुसंधान हो रहा है। खास तौर पर माइक्रोवेव सोर्सेज और डिवाइसेज़ पर किया जा रहा कार्य अमेरिका में विकसित बोइंग चैंप मिसाइल सिस्टम और थॉर (THOR) टेक्नोलॉजी से प्रेरित है। यह तकनीक दुश्मन के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को बिना भौतिक हमले के सिर्फ तरंगों के माध्यम से निष्क्रिय कर सकती है। इसे सैन्य वाहनों में या स्थायी रूप से प्रयोगशालाओं में स्थापित किया जा सकता है।

राष्ट्रीय तकनीक दिवस पर प्रो. पात्रा हुए मुख्य अतिथि

आईआईटी-बीएचयू के निदेशक प्रो. अमित पात्रा हाल ही में दिल्ली में आयोजित डीआरडीओ के कार्यक्रम ‘राष्ट्रीय तकनीक दिवस’ में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने डीआरडीओ की विभिन्न प्रयोगशालाओं का दौरा कर वहां चल रही वैज्ञानिक गतिविधियों की जानकारी भी ली।

प्रो. पात्रा ने कहा, “हम डीआरडीओ के साथ मिलकर भारत के भविष्य की रक्षा तकनीक पर काम कर रहे हैं। यह अनुसंधान किसी वर्तमान परिस्थिति की प्रतिक्रिया नहीं है, बल्कि देश की दीर्घकालिक जरूरतों के अनुसार हो रहा है।” उन्होंने यह भी कहा कि अनुसंधान को केवल शोध पत्र तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि उसे व्यावसायिक और रणनीतिक रूप से भी उपयोगी बनाना आवश्यक है।

देश की जरूरतों के अनुसार होंगे प्रोजेक्ट्स में बदलाव

डीआरडीओ चीफ डॉ. समीर वी. कामत ने संकेत दिया है कि आने वाले समय में प्रोजेक्ट्स को देश की वर्तमान जरूरतों और उपलब्ध संसाधनों के अनुसार अपडेट किया जाएगा। आईआईटी-बीएचयू के वैज्ञानिकों के साथ मिलकर समस्याओं पर चर्चा कर उनके व्यवहारिक समाधान तलाशे जाएंगे।

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