
भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव को लेकर अमेरिका ने चिंता जताई है और दोनों देशों से संयम बरतने की अपील की है. व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने शुक्रवार को प्रेस ब्रीफिंग के दौरान स्पष्ट किया कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप चाहते हैं कि यह तनाव जल्द से जल्द समाप्त हो और क्षेत्र में स्थिरता बनी रहे.
ट्रंप प्रशासन की कूटनीतिक पहल
प्रेस सचिव लेविट ने बताया कि अमेरिकी विदेश मंत्री और कार्यवाहक राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मार्को रुबियो इस मुद्दे को लेकर सक्रिय हैं. उन्होंने कहा कि रुबियो भारत और पाकिस्तान के नेताओं के साथ लगातार संपर्क में हैं और तनाव को कम करने के प्रयासों में जुटे हुए हैं. यह संकेत है कि अमेरिका इस संघर्ष को बढ़ने से रोकने के लिए कूटनीतिक स्तर पर काम कर रहा है.
भारत-पाक संबंधों पर ट्रंप का रुख
लेविट ने यह भी कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप इस बात को अच्छी तरह समझते हैं कि भारत और पाकिस्तान के बीच वर्षों से मतभेद चले आ रहे हैं. उन्होंने कहा, “यह विवाद ट्रंप के राष्ट्रपति बनने से पहले से चला आ रहा है.” साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि राष्ट्रपति ट्रंप दोनों देशों के नेताओं के साथ व्यक्तिगत रूप से अच्छे संबंध रखते हैं, जिससे बातचीत की संभावनाएं मजबूत होती हैं.
रुबियो की जयशंकर और शरीफ से बातचीत
गुरुवार को अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से अलग-अलग बातचीत की. इस दौरान उन्होंने पाकिस्तान से आतंकी संगठनों को किसी भी तरह का समर्थन बंद करने की अपील दोहराई.
वहीं, जयशंकर ने दो टूक शब्दों में स्पष्ट किया कि भारत पाकिस्तान द्वारा किसी भी प्रकार की उकसावे वाली कार्रवाई का कड़ा जवाब देगा और अपनी संप्रभुता की रक्षा करेगा.
यह हमारा काम नहीं- जेडी वेंस
इस मुद्दे पर अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने गुरुवार को फॉक्स न्यूज़ को दिए गए एक साक्षात्कार में कहा कि अमेरिका भारत-पाकिस्तान युद्ध में हस्तक्षेप नहीं करेगा. उन्होंने कहा, “हम इस बात को लेकर जरूर चिंतित हैं कि कहीं दो परमाणु शक्तियों के बीच टकराव न हो, लेकिन यह हमारी प्रत्यक्ष भूमिका नहीं है.”
सीमा पर तनाव, हमले नाकाम
इस बीच, भारत ने गुरुवार और शुक्रवार को जम्मू, पठानकोट, उधमपुर और अन्य संवेदनशील सैन्य ठिकानों पर पाकिस्तानी सेना द्वारा किए गए ड्रोन और मिसाइल हमलों को विफल कर दिया. सीमा पर बढ़ते सैन्य जमावड़े और लगातार हमलों की कोशिशों ने दोनों देशों के बीच संभावित युद्ध की आशंका को और बढ़ा दिया है.