
वास्तु शास्त्र केवल इमारतों की बनावट तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आपके जीवन के हर पहलू को छूता है – विशेषकर नींद और शयनकक्ष से जुड़ी आदतों को। नींद हमारे जीवन का लगभग एक-तिहाई हिस्सा है, इसलिए वास्तु के नियमों का पालन करके आप अपने जीवन में चमत्कारी बदलाव महसूस कर सकते हैं।
सोते समय सिर की दिशा क्या होनी चाहिए?
- दक्षिण दिशा – सबसे उत्तम
इस दिशा में सिर रखकर सोने से स्थिरता, दीर्घायु और मानसिक शांति मिलती है। यह दिशा यम की मानी जाती है, जो ऊर्जा को स्थिर करती है। - पूर्व दिशा – विद्या और सकारात्मकता के लिए बेहतर
छात्रों, शिक्षकों और मानसिक कार्य करने वालों के लिए श्रेष्ठ दिशा। इससे स्मरण शक्ति और मानसिक संतुलन बढ़ता है। - उत्तर दिशा – बिल्कुल वर्जित
उत्तर दिशा में सिर रखकर सोना रक्त संचार में बाधा, नींद में अशांति और स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे सकता है। - पश्चिम दिशा – मनोविकार और चिंता बढ़ सकती है
कभी-कभी मजबूरी में इस दिशा में सोना पड़ता है, लेकिन यह मनोवैज्ञानिक दबाव और अनचाही बेचैनी ला सकती है।
पलंग की स्थिति और बनावट
- पलंग मजबूत लकड़ी का होना चाहिए, धातु या लोहे से बचें।
- पलंग को दीवार से थोड़ा हटाकर रखें ताकि ऊर्जा का प्रवाह बाधित न हो।
- पलंग के नीचे कोई सामान, जूते या इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स न रखें – यह नकारात्मक ऊर्जा को जन्म देता है।
पति-पत्नी के लिए शयनकक्ष की दिशा
- दक्षिण-पश्चिम दिशा – सबसे उत्तम
दांपत्य जीवन में स्थायित्व, प्रेम और समझदारी बढ़ाती है। - पूर्वोत्तर दिशा – बिल्कुल नहीं
यह दिशा ध्यान और पूजा के लिए उपयुक्त है, शयनकक्ष के लिए नहीं।
सोने का समय और आदतें
- रात्रि 10 बजे तक सो जाना और ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4-5 बजे) में जागना सबसे श्रेष्ठ है।
- रात में देर तक मोबाइल, टीवी या लैपटॉप देखना नींद को बाधित करता है और तनाव को बढ़ाता है।
- सोने से पहले हल्का भोजन करें और मानसिक रूप से शांत रहें।
आईना और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से बचाव
- पलंग के सामने आइना नहीं होना चाहिए – यह मानसिक बेचैनी और भय को बढ़ाता है।
- मोबाइल, लैपटॉप और टीवी जैसे उपकरणों को सोने से पहले बंद कर दें और दूर रखें।
रंग और सजावट
- शयनकक्ष में हल्के और शांत रंग जैसे:
- गुलाबी – प्रेम और सौम्यता
- नीला – शांति और मानसिक स्थिरता
- क्रीम/ऑफ व्हाइट – संतुलन और सुकून
- बिस्तर हमेशा साफ, सुव्यवस्थित और आरामदायक होना चाहिए।
- कमरे में देवी-देवताओं की तस्वीरें नहीं लगानी चाहिए, क्योंकि यह स्थान विश्राम के लिए होता है, उपासना के लिए नहीं।