महराजगंज : नगर पालिका में भ्रष्टाचार चरम पर, सिविल लाइन में इंटरलॉकिंग रोड का हो रहा घटिया निर्माण

भास्कर ब्यूरो
महराजगंज। उत्तर प्रदेश के महराजगंज नगर पालिका क्षेत्र में भ्रष्टाचार की गंभीर शिकायतें सामने आ रही हैं। नगर क्षेत्र के प्रतिष्ठित मोहल्ला सिविल लाइन में 83 मीटर लंबी इंटरलॉकिंग रोड का निर्माण कराया गया है, जिसकी लागत लगभग ₹10.5 लाख बताई जा रही है। लेकिन स्थानीय निवासियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का आरोप है कि इस निर्माण कार्य में भारी अनियमितताएं बरती गई हैं।
जानकारी के अनुसार, इंटरलॉकिंग का कार्य केवल खानापूर्ति के तौर पर किया गया है।

सड़क निर्माण से पूर्व न तो उपयुक्त रूप से गिट्टी डाली गई, न ही बालू या सिल्ट की कोई परत बनाई गई। केवल मिट्टी डालकर उस पर सीधे इंटरलॉकिंग टाइल्स बिछा दी गईं, जिससे यह संदेह गहराता है कि निर्माण कार्य पूरी तरह से मानकविहीन है और भ्रष्टाचार की बू आ रही है। इससे न केवल सरकारी धन का दुरुपयोग हुआ है, बल्कि क्षेत्रवासियों के साथ भी धोखा हुआ है।। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा बार-बार यह कहा गया है कि प्रदेश में भ्रष्टाचार किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, और दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। लेकिन महराजगंज नगर पालिका में अधिकारी और ठेकेदारों पर इसका कोई असर नजर नहीं आ रहा है। बताया जा रहा है कि यह कार्य 15वें वित्त आयोग की निधि से कराया गया है, जिसका उद्देश्य नगर क्षेत्र में मूलभूत सुविधाओं को मजबूत करना था, लेकिन इसका प्रयोग भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ता दिखाई दे रहा है।

इस मामले में जब नगर पालिका के जूनियर इंजीनियर (JE) देवेंद्र कुमार से पूछा गया, तो उन्होंने बताया कि ठेकेदार को इस मामले में नोटिस जारी किया गया है। वहीं नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी आलोक कुमार ने कहा कि यदि निर्माण कार्य मानक के अनुरूप नहीं किया गया है, तो इसकी जांच कराई जाएगी। उन्होंने आश्वासन दिया कि जांच में जो भी तथ्य सामने आएंगे, उसके अनुसार उचित कार्रवाई की जाएगी।

हालांकि, स्थानीय लोगों का मानना है कि केवल नोटिस या जांच के नाम पर मामले को रफा-दफा करने की परंपरा रही है। जनता यह मांग कर रही है कि इस भ्रष्टाचार की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए और दोषी अधिकारियों व ठेकेदार के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए, ताकि जनता के पैसों का दुरुपयोग न हो और भविष्य में ऐसे कृत्यों पर अंकुश लगाया जा सके।

इस प्रकरण ने एक बार फिर यह साबित किया है कि भले ही सरकार पारदर्शिता और जवाबदेही की बात कर रही हो, लेकिन जमीनी हकीकत में बदलाव लाने के लिए सख्त कार्रवाई और जन जागरूकता की सख्त जरूरत है। क्या इस बार वाकई दोषियों पर गाज गिरेगी, या फिर यह मामला भी कागजों में दफन होकर रह जाएगा ।

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