
- राजभवन के गांधी सभागार में मनाया गया गुजरात राज्य का स्थापना दिवस
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की प्रेरणा एवं मार्गदर्शन में आज राजभवन के गांधी सभागार में गुजरात राज्य का स्थापना दिवस मनाया गया। गुजरात की समृद्ध लोक संस्कृति, कला, साहित्य, खानपान, परंपराओं एवं विशेषताओं पर आधारित वृत्तचित्र, रंगोली एवं प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया, जिसने वहां की सांस्कृतिक विविधता को सजीव रूप में दर्शाया। इस मौके पर राज्यपाल ने विशेष रूप से उल्लेख किया कि गुजरात में ‘ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस’ को प्राथमिकता के साथ लागू किया गया। व्यावसायिक प्रक्रियाओं को सरल और पारदर्शी बनाया गया।
गुजरात स्थापना दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में गांधी सभागार के कार्यक्रम में गुजरात से पधारे कलाकारों द्वारा डांडिया नृत्य, गरबा नृत्य, ताली रास नृत्य, मिश्र रास नृत्य तथा राठवा आदिवासी लोक नृत्य जैसी रंगारंग प्रस्तुतियाँ दी गईं, जिन्होंने कार्यक्रम में पारंपरिक रंग भर दिए और दर्शकों को गुजरात की सांस्कृतिक आत्मा से रूबरू कराया। इन प्रस्तुतियों को दर्शकों ने भरपूर सराहा।

राज्यपाल ने सभी को गुजरात राज्य स्थापना दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि गुजरात की संस्कृति, विकास यात्रा और सामाजिक सौहार्द पूरे देश के लिए प्रेरणास्रोत हैं। उन्होंने कहा कि गुजराती भोजन सर्वदा संतुलित एवं पौष्टिक आहार के रूप में जाना जाता है, जिसमें सभी आवश्यक पोषक तत्व समाहित होते हैं। राज्यपाल ने गुजरात से आए कलाकारों की सांस्कृतिक प्रस्तुतियों की सराहना करते हुए कहा कि उनकी प्रस्तुतियां ऊर्जा, उत्साह और जीवंतता से परिपूर्ण थीं, जिन्होंने कार्यक्रम को एक विशेष ऊंचाई प्रदान की।
गुजरात राज्य की स्थापना एक लंबे और व्यापक आंदोलन का परिणाम थी। यह कोई सहज प्रक्रिया नहीं थी, बल्कि सामाजिक एवं राजनीतिक चेतना के व्यापक प्रसार और जनआंदोलन के माध्यम से संभव हो सकी। आज गुजरात को एक आधुनिक, विकसित और समृद्ध राज्य के रूप में देखा जाता है, इसका श्रेय सरकार द्वारा सुनियोजित नीति-निर्माण एवं सशक्त क्रियान्वयन को जाता है। उन्होंने कहा कि शिक्षा, स्वास्थ्य और व्यवसाय, इन तीनों क्षेत्रों में गुजरात सरकार ने दूरदर्शिता के साथ योजनाएं बनाईं और दृढ़ इच्छाशक्ति से उन्हें क्रियान्वित किया।
राज्यपाल ने विशेष रूप से यह उल्लेख किया कि गुजरात में “ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस“ को प्राथमिकता के साथ लागू किया गया। व्यावसायिक प्रक्रियाओं को सरल और पारदर्शी बनाया गया, जिससे निवेशकों के लिए अनुकूल वातावरण तैयार हुआ। उद्योग-धंधों से जुड़ी समस्याओं के त्वरित समाधान हेतु प्रभावशाली नीतिगत ढांचे विकसित किए गए, जिससे विदेशी निवेशकों का विश्वास भी राज्य पर मजबूत हुआ।

उन्होंने यह भी कहा कि वर्ष 2003 में “वाइब्रेंट गुजरात“ शिखर सम्मेलन का आयोजन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में किया गया, जिसने गुजरात को वैश्विक आर्थिक मानचित्र पर एक नई पहचान दिलाई। इस आयोजन में न केवल देश-विदेश की प्रमुख कंपनियों ने भाग लिया, बल्कि बड़े स्तर पर एम.ओ.यू. पर हस्ताक्षर हुए, जिससे गुजरात में रोजगार के अवसरों का विस्तार हुआ और राज्य की छवि एक वैश्विक निवेश गंतव्य के रूप में स्थापित हुई।
राज्यपाल ने गुजरात में अपने कार्यकाल के अनुभवों को साझा करते हुए बताया कि जब वे वहां मंत्री पद पर कार्यरत थीं, तब उन्होंने शिक्षा और स्वास्थ्य को सर्वोच्च प्राथमिकता दी। समाज का समग्र विकास तभी संभव है जब प्रत्येक व्यक्ति को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और समय पर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध हों। इसी उद्देश्य से उन्होंने गुजरात में ’मां वात्सल्य योजना’ की शुरुआत की, ताकि आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को भी बेहतर इलाज की सुविधा मिल सके।
उन्होंने यह भी कहा कि गुजरात के किसानों ने परिश्रम और ईमानदारी से कार्य करने की परंपरा स्थापित की है। वहां मेहनत को जीवन का अभिन्न हिस्सा बना लिया गया है, जिससे कृषि और पशुपालन क्षेत्र में निरंतर प्रगति हुई है। उन्होंने बताया कि जब वे गुजरात में राजस्व मंत्री थीं, तब राज्य को वित्तीय हब के रूप में विकसित करने की दिशा में कई महत्वपूर्ण प्रयास किए गए। उन्होंने डायमंड सिटी के संदर्भ में कहा कि पहले संबंधित कार्यालय मुंबई में स्थित था, जिससे गुजरात के व्यापारियों को अनेक व्यवहारिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था।
बाद में इस कार्यालय को सूरत में स्थानांतरित करने का कार्य किया गया, जिससे व्यापार में सुविधा बढ़ी और राज्य के आर्थिक विकास को बल मिला। परिणामस्वरूप आज गुजरात को सर्वश्रेष्ठ सिटी के रूप में देखा जाता है, राज्यपाल ने कहा कि जब वह गुजरात में शिक्षा मंत्री थीं, तब उन्होंने विशेष रूप से आदिवासी क्षेत्रों में शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किए।
इन क्षेत्रों में शिक्षा की पहुंच सुनिश्चित करने के लिए निजी कंपनियों और निजी विद्यालयों के सहयोग से शिक्षा प्रदान करने की व्यवस्था की गई। इस प्रयास का परिणाम यह हुआ कि आदिवासी समुदाय के अनेक बच्चे आज मेडिकल और इंजीनियरिंग जैसी प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं को उत्तीर्ण कर डॉक्टर और इंजीनियर बन रहे हैं। कई छात्र विदेशों में भी उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि यदि सही दिशा में कार्य किया जाए तो समाज के वंचित वर्ग भी प्रगति की मुख्यधारा से जुड़ सकते हैं।
भारत की एकता और राष्ट्रीय गर्व के प्रतीक ’स्टैचू ऑफ यूनिटी’ का विशेष उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि यह भव्य प्रतिमा न केवल सरदार वल्लभभाई पटेल के अप्रतिम योगदान की स्मृति है, बल्कि यह देशवासियों में राष्ट्रप्रेम, एकता और प्रेरणा का भी सशक्त स्रोत है।
इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव, राज्यपाल डॉ. सुधीर महादेव बोबडे, विशेष सचिव राज्यपाल, श्रीप्रकाश गुप्ता, विशेष कार्याधिकारी श्री अशोक देसाई, डॉ. सतीश कुमार आईपीएस, रीनू रंगभारती, सहायक निदेशक संस्कृति विभाग, अतिथिगण, कलाकार, विश्वविद्यालयों के विद्यार्थी, राजभवन के अधिकारी, कर्मचारी सहित अन्य उपस्थित थे।
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