लखनऊ : जातीय जनगणना को लेकर सपा-भाजपा के बीच पोस्टर वॉर, राजनीतिक घमासान शुरू

लखनऊ। राजधानी में सियासी दलों के बीच में पोस्टर वॉर का यह एक दिलचस्प उदाहरण है। जातीय जनगणना को लेकर केंद्र सरकार के फैसले के बाद भाजपा मुख्यालय के बाहर इस तरह की होर्डिंग का लगना राजनीतिक बयानबाजी का हिस्सा है।

भाजपा युवा मोर्चा के महामंत्री अमित त्रिपाठी द्वारा लगवाई गई इस होर्डिंग में लिखा गया नारा ‘जातीय जनगणना की उठाई आवाज अब बताओ कौन जात?’ सीधे तौर पर उन राजनीतिक दलों और नेताओं को संबोधित करता है जो जातीय जनगणना की मांग कर रहे हैं।

इस नारे के माध्यम से अमित त्रिपाठी संभवतः यह सवाल उठा रहे हैं कि जातीय जनगणना की मांग करने वाले दल या व्यक्ति खुद को किस जाति का मानते हैं, और क्या उनकी मांग का आधार जातिगत पहचान है। यह एक तरह से जातीय जनगणना की मांग के पीछे के मकसद पर सवाल उठाने का प्रयास है।

राजनीतिक रूप से, इस तरह की होर्डिंग का उद्देश्य जातीय जनगणना के मुद्दे पर बहस को एक नया मोड़ देना और विरोधी दलों को असहज करना हो सकता है। यह भाजपा का एक प्रयास हो सकता है कि वह जातीय जनगणना के मुद्दे को भावनात्मक और पहचान आधारित मुद्दे के बजाय एक राजनीतिक मुद्दा बनाए।

कुल मिलाकर, यह घटनाक्रम लखनऊ में चल रहे राजनीतिक माहौल और विभिन्न दलों के बीच जातीय जनगणना जैसे संवेदनशील मुद्दे पर जारी खींचतान को दर्शाता है।

राजनीतिक पोस्टर वॉर के बारे में मुख्य बिंदु है, जो केंद्र सरकार के जातीय जनगणना के फैसले के बाद शुरू हुआ है :

  • पोस्टर वॉर: समाजवादी पार्टी और भाजपा के बीच जातीय जनगणना के मुद्दे पर पोस्टर वॉर चल रहा है।
  • भाजपा का पोस्टर: भाजपा युवा मोर्चा के महामंत्री अमित त्रिपाठी ने भाजपा मुख्यालय के बाहर एक होर्डिंग लगवाई है।
  • होर्डिंग का संदेश: होर्डिंग में राहुल गांधी और अखिलेश यादव की तस्वीर है और उनसे उनकी जाति पूछी गई है। होर्डिंग पर लिखा है: ‘जातीय जनगणना की उठाई आवाज अब बताओ कौन जात?’
  • भाजपा का तर्क: अमित त्रिपाठी का कहना है कि जातीय जनगणना होने पर सभी को अपनी जाति बतानी पड़ेगी। उन्होंने राहुल गांधी और अखिलेश यादव से उनकी जाति स्पष्ट करने को कहा है, खासकर उनके पूर्वजों के नामों के संदर्भ में।
  • अखिलेश यादव की प्रतिक्रिया: अमित त्रिपाठी ने यह भी उल्लेख किया है कि लोकसभा में जाति पूछे जाने पर अखिलेश यादव भड़क गए थे।

यह जानकारी दर्शाती है कि जातीय जनगणना का मुद्दा राजनीतिक रूप से संवेदनशील बना हुआ है और पार्टियां इसका इस्तेमाल एक-दूसरे पर हमला करने के लिए कर रही हैं। भाजपा इस मुद्दे पर राहुल गांधी और अखिलेश यादव को घेरने की कोशिश कर रही है, खासकर उनकी व्यक्तिगत जातियों को लेकर।

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