
नैनीताल : उत्तराखंड हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में पेशे से डॉक्टर और श्रीनगर पौड़ी गढ़वाल निवासी एक अंतरधार्मिक प्रेमी जोड़े को सुरक्षा प्रदान करने का निर्देश दिया है। यह आदेश मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक महरा की खंडपीठ ने सुरक्षा याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया।
10 वर्षों का रिश्ता, अब विवाह की तैयारी
याचिकाकर्ता जोड़े ने कोर्ट को बताया कि वे पिछले दस वर्षों से एक-दूसरे के साथ हैं और अब विशेष विवाह अधिनियम, 1954 के तहत विवाह करना चाहते हैं। उन्होंने विवाह के लिए प्रक्रिया शुरू करते हुए जब सार्वजनिक सूचना जारी की, तो स्थानीय स्तर पर विरोध शुरू हो गया। लगभग 30-40 लोगों की भीड़ उनके घर पहुंची और न केवल प्रेमी युगल बल्कि उनके परिजनों पर भी दबाव बनाया गया।
कोर्ट का सख्त रुख
कोर्ट में उपस्थित दोनों याचिकाकर्ताओं ने स्पष्ट किया कि वे बालिग हैं और अपनी मर्जी से विवाह करना चाहते हैं। उनकी इच्छा पर कोई दबाव या भ्रम नहीं है। कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए संबंधित थाना प्रभारी को आदेश दिया कि वे विरोध कर रहे पक्षों से बात करें और उन्हें कानून हाथ में लेने से रोकें।
इसके साथ ही राज्य को यह भी निर्देश दिया गया कि वह याचिकाकर्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करें और खतरे का वस्तुनिष्ठ मूल्यांकन करें। यदि कोई व्यक्ति या संगठन कानून अपने हाथ में लेने की कोशिश करता है, तो उसके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
संविधान और सुप्रीम कोर्ट का हवाला
कोर्ट ने इस आदेश में सुप्रीम कोर्ट के लता सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य केस का भी उल्लेख किया, जिसमें यह स्पष्ट किया गया था कि बालिगों को अपनी मर्जी से विवाह करने का संवैधानिक अधिकार प्राप्त है।