
- जूता कारोबारी ने रसूख की बदौलत बनाई थी इमारत
- निर्माण के समय नियम-कायदों की जबरदस्त अनदेखी
- विकास प्राधिकरण की मेहरबानी से बनी अवैध इमारत
- अब केडीए के जिम्मेदारों पर गाज गिरने की संभावना
कानपुर। रविवार की रात चमनगंज के प्रेमनगर मोहल्ले में भड़की आग में जूता कारोबारी का परिवार जिंदा जलकर खाक हो गया। दस घंटे की मशक्कत के बाद बिल्डिंग की आग तो बुझ गई, लेकिन तपिश महीनों तक तमाम विभागों के अफसरों को झुलसाएगी। अव्वल संकरे रास्तों पर पांच मंजिला इमारत कैसे तन गई। निर्माण के समय विकास प्राधिकरण के जिम्मेदार क्यों मौन थे। इसके साथ ही रिहाइशी इलाके में कारोबार की अनुमति कैसे मिली, अगर इजाजत नहीं थी तो जिम्मेदार विभाग के अफसरों को अवैध कारोबार क्यों नहीं नजर आया। ऐसे ही तमाम सुलगते सवालों के बीच चर्चा है कि जल्द ही जिम्मेदारों पर सख्त कार्रवाई की गाज गिरेगी।
बता दें कि प्रेमनगर के अग्निकांड में मो. दानिश (45), उनकी पत्नी नाजमी सबा (42), बेटी सारा (15), सिमरा (12), इनाया (7) की मौत हुई है।
कारोबारी ने अपने रसूख से तानी थी इमारत
अग्निकांड में पांच जिंदगियों के राख होने के बाद पड़ताल में मालूम हुआ कि, मौत के शिकार दानिश ने अपने रसूख और विकास प्राधिकरण के अफसरों से सेटिंग के जरिए बगैर नक्शा पास कराए पांच मंजिला इमारत को तान दिया था। इसके बाद दानिश के परिवार ने इसी इमारत के भूतल और पहली मंजिल पर आर्मी के लिए शैडलरी जूता बनाने का कारखाना खोल दिया। खास बात थी कि कारखाना खोलने के लिए श्रम विभाग, अग्निशमन विभाग समेत किसी भी महकमे से एनओसी लेना जरूरी नहीं समझा गया। महीना और त्योहारी वसूली करने वाले कई बरस से आते रहे और दानिश का परिवार रस्म निभाकर उन्हें खुश कर देता था। नजराने की इसी आदत ने तीन मासूमों समेत उनके माता-पिता को दुनिया से अलविदा कर दिया।
सोमवार को इलाके में चर्चा आम थी कि, छोटे से प्लाट पर पांच मंजिला इमारत के निर्माण के समय विकास प्राधिकरण के अफसर-कर्मचारी आते थे। नक्शा-मानक की बात होती थी, लेकिन दानिश के साथ बंद कमरे में मीटिंग के बाद सवालों को दरकिनार कर दिया जाता था। गौर करने पर नजर आया कि दानिश की तंदूरनुमा इमारत जैसी तमाम बिल्डिंग आसपास सीना तानकर मौके पर मौजूद सरकारी सिस्टम को मुंह चिढ़ा रही थीं।
एक साथ पांच जनाजे देखकर गूंजी चीत्कार
सोमवार को पोस्टमार्टम के बाद एक साथ पांच जनाजे कब्रिस्तान के लिए रवाना हुए तो प्रेमनगर की गलियां चीत्कार से गूंज गई। रिश्तेदारों समेत मौजूद प्रत्येक आंखों से अश्क का निर्झर सैलाब बह रहा था। सभी जुबान पर एक ही बात थी दानिश ने इतनी मेहनत और जुगाड़ से जिस आशियाने को आबाद किया था, वही आशियाना परिवार की कब्रगाह बन गया। पोस्टमार्टम हाउस में दानिश के दोस्त आसिफ, फैजान और अली बिलखते हुए बोले कि, दोस्त को खोने का ताउम्र गम रहेगा।
आसिफ ने बताया कि, मौके पर पहुंचने पर देखा कि आग ने तीसरी मंजिल को चपेट में ले लिया था। ऐसे में दस मीटर की दूरी पर लगा फायर फाइटिंग स्विच तक पहुंचना मुश्किल था। आग इतनी विकराल थी कि, दमकल की बीस गाड़ियां घंटों जूझती रहीं, लेकिन मकान में रखे कैमिकल के कारण 10 घंटे में लपटों को शांत करना मुमकिन हुआ, बावजूद, बिल्डिंग के करीब पहुंचने पर तपिश महसूस होती है। अग्निशमन अफसरों का कहना है कि पूरी बिल्डिंग को ठंडा होने में दो दिन का वक्त लगेगा। बताया गया कि, दमकल टीम ने ऊपरी फ्लोर में कई स्थानों पर दीवार को तोड़कर अंदर पानी फेंका, इसके बाद आग को काबू में करने में कामयाबी मिली। करीब पांच घंटे की मशक्कत के बाद माता-पिता और तीन बेटियों की लाश बरामद हुई।