लखीमपुर : बाघ के आतंक से दहशत में गोला वन रेंज, खेत पर काम कर रहे दो मजदूरों पर किया जानलेवा हमला

  • बसलीपुर के पास की घटना, एक गंभीर घायल जिला अस्पताल रेफर, इलाके में दहशत का माहौल

गोला गोकर्णनाथ (लखीमपुर)। गोला वन रेंज में बाघ का आतंक लगातार बढ़ता जा रहा है। रविवार की सुबह एक बार फिर बाघ ने इंसानी बस्ती के पास खेत में मजदूरी कर रहे दो लोगों पर हमला कर दिया, जिससे इलाके में हड़कंप मच गया है। घायल मजदूरों को तत्काल अस्पताल पहुंचाया गया, जिनमें से एक की हालत गंभीर बताई जा रही है।

कोतवाली क्षेत्र के ग्राम ताजपुर निवासी मोहम्मद जान का पुत्र सुबराती खां रविवार सुबह मजदूरी करने के लिए बसलीपुर के पास बंगाली कॉलोनी पहुंचा था। वह खेत में काम कर ही रहा था कि अचानक झाड़ियों से निकलकर एक बाघ ने उस पर हमला कर दिया। बाघ के पंजों और जबड़ों से घायल होकर सुबराती ज़मीन पर गिर पड़ा।उसकी चीख-पुकार सुनकर पास के ही खेत में काम कर रहे प्रकाश चंद, निवासी बंगाली कॉलोनी, उसे बचाने दौड़े। लेकिन बहादुरी दिखाते हुए जैसे ही उन्होंने बाघ को रोकने का प्रयास किया, बाघ ने उन पर भी हमला कर दिया और उन्हें भी घायल कर दिया।

ग्रामीणों की मदद से दोनों घायलों को सीएचसी (सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र) लाया गया, जहां से सुबराती की गंभीर हालत को देखते हुए उसे जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया।

स्थानीय ग्रामीणों में इस हमले के बाद भय और आक्रोश का माहौल है। लोगों का कहना है कि गोला वन रेंज में बाघ का आतंक कोई नई बात नहीं है। महेशपुर और मैलानी रेंज में पहले ही बाघ कई लोगों की जान ले चुका है, लेकिन वन विभाग की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। ग्रामीणों ने वन विभाग की कार्यशैली पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि बार-बार शिकायतों के बावजूद न तो बाघ को पकड़ने की कोशिश की जा रही है और न ही खेतों के आसपास कोई निगरानी या सुरक्षा व्यवस्था की गई है।

ग्रामीणों ने मांग की है कि

बाघ को तत्काल पकड़ने के लिए पिंजरा लगाया जाए। खेतों में काम कर रहे मजदूरों की सुरक्षा के लिए वन विभाग की गश्त बढ़ाई जाए। पीड़ितों को मुआवजा और उचित इलाज की सुविधा दी जाए।गोला वन रेंज में बीते कुछ महीनों में बाघ के हमलों में कई लोगों की जान जा चुकी है। इसके बावजूद विभाग की उदासीनता से लोगों का गुस्सा फूट रहा है।

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