नौतपा 2025: क्यों जरूरी है इन 9 दिनों की भीषण गर्मी? जानिए इसके पीछे का कारण

हर साल मई के तीसरे सप्ताह से जून के पहले सप्ताह तक देश के कई हिस्सों में तापमान 45 से 50 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। इस भीषण गर्मी के नौ दिनों को ‘नौतपा’ कहा जाता है। यह सिर्फ गर्मी का दौर नहीं है, बल्कि कृषि और मौसम के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण समय माना जाता है।

नौतपा 2025 की तिथियां:

इस साल नौतपा 25 मई 2025 से 3 जून 2025 तक रहेगा। सूर्य 25 मई को सुबह 3:27 बजे रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करेंगे और 8 जून तक इसी नक्षत्र में रहेंगे। यह काल पृथ्वी के लिए अत्यधिक गर्म और सक्रिय ऊर्जा वाला समय होता है।


क्यों पड़ती है इन 9 दिनों में ज्यादा गर्मी?

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब सूर्य रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करता है, तब उसकी किरणें पृथ्वी पर सीधे और तीव्रता से गिरती हैं। यह समय ज्येष्ठ मास का होता है, जब सूर्य पृथ्वी के सबसे निकट होता है। इस दौरान सूरज की प्रखर किरणें धरती को अग्नि के समान तपाती हैं, जिससे गर्मी अपने चरम पर होती है और लू चलने लगती है।


अगर नौतपा में अच्छी गर्मी न पड़े तो क्या होगा?

यह सवाल महत्वपूर्ण है क्योंकि नौतपा केवल गर्मी का नाम नहीं है, यह आगे आने वाले मौसम की दशा-दिशा भी तय करता है:

  • कम गर्मी = कम बारिश: वैज्ञानिक और पारंपरिक मान्यताओं के अनुसार, नौतपा में जितनी अधिक गर्मी होगी, मानसून उतना ही अच्छा होगा।
  • कीट-पतंगों का प्रकोप: यदि गर्मी नहीं पड़ी, तो जहरीले कीट-पतंगे, टिड्डियां, बैक्टीरिया आदि नष्ट नहीं होंगे, जिससे फसलें और स्वास्थ्य दोनों को खतरा हो सकता है।
  • सांप-बिच्छू नियंत्रण से बाहर हो सकते हैं, जिससे ग्रामीण इलाकों में खतरा बढ़ जाता है।
  • आंधियों और ओलावृष्टि की संभावना बढ़ जाती है जो फसलों को नुकसान पहुंचा सकती है।

नौतपा का खेती पर प्रभाव

किसानों के लिए नौतपा बेहद खास समय होता है। उनका मानना है कि इन दिनों में यदि तेज गर्मी पड़े, तो आने वाला मानसून बेहतर होता है। इससे खेतों को समय पर भरपूर पानी मिलता है और फसल की पैदावार अच्छी होती है। इसीलिए किसान नौतपा के समय बादलों की नहीं, बल्कि तेज धूप और लू की कामना करते हैं।

नौतपा का समय प्रकृति के संतुलन और कृषि व्यवस्था के लिए एक निर्णायक काल होता है। यह सिर्फ गर्मी का दौर नहीं, बल्कि आने वाली बारिश और फसल के भविष्य का संकेतक भी है। इसलिए भले ही नौतपा में गर्मी झुलसाने वाली हो, मगर इसका असर किसानों और पर्यावरण दोनों के लिए लाभकारी होता है।

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