
- नवागंतुक प्रभारी सुनीता कुशवाहा के नेतृत्व में किया गया सराहनीय कार्य
लखीमपुर-खीरी। पुलिस अधीक्षक संकल्प शर्मा के दिशा-निर्देशन में संचालित परिवार परामर्श केन्द्र ने एक बार फिर सामाजिक सौहार्द और मानवीय संवेदनाओं का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया है। नवागंतुक प्रभारी सुनीता कुशवाहा के कुशल मार्गदर्शन में केन्द्र की सक्रिय टीम ने आपसी मतभेदों से जूझ रहे सात परिवारों को टूटने से बचाया और उन्हें सुलह-समझौते के माध्यम से पुनः एकजुट कर दांपत्य जीवन में लौटने के लिए प्रेरित किया।
शनिवार को महिला थाने में स्थित परिवार परामर्श केन्द्र में माह के प्रथम शनिवार को काउंसलिंग सत्र का आयोजन किया गया। इस सत्र में कुल 14 विवादित मामलों की सुनवाई की गई, जिनमें घरेलू हिंसा, अतिरिक्त दहेज की मांग, साझा गृहस्थी में विवाद तथा आपसी कलह जैसे गंभीर विषय शामिल थे। काउंसलिंग टीम में नीति गुप्ता, कय्यूम ज़रवानी, किरण अग्रवाल और महिला आरक्षी निकिता राठौर शामिल थीं, जिन्होंने पूरी संवेदनशीलता और निष्ठा के साथ पक्षकारों से संवाद स्थापित कर समाधान का प्रयास किया।
इन प्रयासों का सकारात्मक परिणाम यह रहा कि 14 में से 7 मामलों में पति-पत्नी के बीच आपसी सहमति बन पाई और दोनों पक्ष एक-दूसरे के साथ पुनः रहने को तैयार हो गए। काउंसलिंग सत्र के पश्चात इन दंपतियों को पारिवारिक भावनाओं को सहेजते हुए पुनः विदा किया गया।
वहीं, 3 मामले न्यायालय में लंबित होने के कारण कानूनी प्रक्रिया के अधीन हैं, जिनमें केन्द्र की भूमिका सीमित रही। शेष 4 मामलों में अभी मनमुटाव की स्थिति बनी हुई है, जिसके चलते उन्हें सोचने-समझने के लिए कुछ समय प्रदान किया गया है। आगामी सत्रों में इनपर पुनः विचार किया जाएगा।
परिवार परामर्श केन्द्र की यह पहल समाज में टूटते संबंधों को जोड़ने की दिशा में एक प्रभावी कदम है। ऐसे समय में जब छोटे-छोटे विवाद बड़े संकटों का कारण बन जाते हैं, इस प्रकार की पहलें सामाजिक ताने-बाने को मजबूत करने में निर्णायक भूमिका निभा रही हैं।
प्रभारी सुनीता कुशवाहा ने कहा कि, “हमारा प्रयास है कि हर वह परिवार, जो किसी कारणवश मतभेद या संकट में है, उसे बातचीत और आपसी समझ से समाधान की ओर ले जाया जाए। जब कोई बच्चा अपने माता-पिता को साथ देखकर मुस्कराता है या एक पत्नी अपने पति के साथ घर लौटती है, तो लगता है कि हमारा प्रयास सफल हुआ।”