
- हनुमानगढ़ी के गद्दीनशीन ने नागा साधुओं के साथ की शाही यात्रा, राम जन्मभूमि के दर्शन की करेंगे तैयारी
- 200 साल पुरानी परम्परा है कि गद्दीनशीन हनुमानगढ़ी मंदिर परिसर से नहीं जा सकते बाहर
अयोध्या। राम नगरी की प्रतिष्ठित हनुमंत लला की पीठ हनुमानगढ़ी मंदिर के गद्दीनशीन (मुख्य पुजारी) महंत प्रेम दास बुधवार को अक्षय तृतीया तिथि पर अपने नागा साधुओं के साथ गाजे बाजे और निशान के साथ शाही यात्रा में सरयू स्नान के लिए प्रस्थान किया। इसके बाद वह श्रीराम जन्मभूमि में श्रीराम लला का दर्शन पूजन करेंगे। हनुमानगढ़ी की सदियों पुरानी परंपरा को तोड़ते हुए वह पहली बार राम मंदिर की यात्रा पर निकलें हैं। इस शाही यात्रा पर जगह जगह पुष्प वर्षा के साथ आरती भी उतारी जा रही है। शाही यात्रा में मुख्य पुजारी रथ पर सवार हैं और हाथी, घोड़े, ऊंट के अलावा चांदी की छड़ियों के साथ हजारों अनुयायी उनके साथ चल रहे हैं। सरयू स्नान के बाद शाही यात्रा राम जन्म भूमि परिसर में गेट नंबर-तीन से प्रवेश करेगी।
उल्लेखनीय है कि हनुमानगढ़ी के नियम में था कि गद्दीनशीन ( मुख्य पुजारी) हनुमानगढ़ी मंदिर के परिसर से बाहर नहीं जा सकते। हनुमान गढ़ी का अपना लगभग 200 साल पुराना संविधान है, जिसे बाबा अभय दास महाराज के समय से निभाया जा रहा है। इसी नियम के अनुसार गद्दीनशीन केवल 52 बीघा भूमि (0.13 वर्ग किलोमीटर) मंदिर परिसर तक ही सीमित रहते थे। जिसे अब तक कड़ाई से पालन किया जा रहा था । अभी तक हाल के दशकों में सिर्फ एक बार किसी गद्दीनशीन ने अस्पताल में भर्ती होने के कारण मंदिर छोड़ा था।
अयोध्या में पुरानी मान्यता के अनुसार माना जाता है कि जब प्रभु रामचंद्र जी इस पृथ्वी से विदा हुए तो उन्होंने अपना राज्य हनुमान महाराज को सौंपा था और हनुमान जी ने हनुमान गढ़ी से रामजन्मभूमि की देखरेख की थी। इसी वजह से अयोध्या में हनुमान जी को राजा और गढ़ी के गद्दीनशीन को उनका प्रतिनिधि माना जाता है। गद्दीनशीन के प्रमुख शिष्य और हनुमंत संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य सन्त डॉ. महेश दास ने बताया कि जब कभी हनुमान जी को किसी धार्मिक समारोह में आमंत्रित किया जाता है तो उनके प्रतीक के रूप में एक झंडा , निशान भेजा जाता है। झंडे पर चांदी और सुनहरे धागों से बनी हनुमान जी की तस्वीर होती है। गद्दीनशीन महाराज जी स्वयं नहीं जाते हैं। उन्होंने बताया कि उन्हें सपनों में स्वयं हनुमान जी ने राम मंदिर आने का आदेश दिया है।
उन्होंने बताया कि यात्रा के लिए पूर्व में निर्वाणी अखाड़ा की विशेष बैठक बुलाकर सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया है। बैठक में लगभग 400 पंचों की उपस्थिति रही। उन्होंने बताया कि चूंकि महंत को भगवान का आदेश मिला है, इसलिए वे राम मंदिर की यात्रा कर रहे हैं।