जानिए कौन हैं जस्टिस बी.आर. गवई जो होंगे भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश, 14 मई को संभालेंगे पदभार

भारत को नया प्रधान न्यायाधीश मिलने जा रहा है। न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई देश के 52वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में 14 मई 2025 को पदभार ग्रहण करेंगे। कानून मंत्रालय ने उनकी नियुक्ति की अधिसूचना जारी कर दी है। वर्तमान CJI संजीव खन्ना का कार्यकाल 13 मई को समाप्त हो रहा है। परंपरा के अनुसार, सीजेआई खन्ना ने 16 अप्रैल को सरकार को अपने उत्तराधिकारी के रूप में सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश जस्टिस गवई का नाम सुझाया था, जिसे केंद्र सरकार ने मंजूरी दे दी।

जस्टिस गवई देश के दूसरे दलित सीजेआई होंगे। उनसे पहले न्यायमूर्ति के.जी. बालाकृष्णन ने 2007-2010 के बीच यह पद संभाला था। जस्टिस गवई का कार्यकाल छह महीने का होगा और वे 23 दिसंबर 2025 को सेवानिवृत्त होंगे।

न्यायमूर्ति बी.आर. गवई: करियर की प्रमुख झलकियां

  • जन्म: 24 नवंबर 1960, अमरावती, महाराष्ट्र
  • वकालत की शुरुआत: 16 मार्च 1985
  • प्रारंभिक कार्य: नागपुर और अमरावती नगर निगमों, अमरावती विश्वविद्यालय में स्थायी वकील
  • बॉम्बे हाईकोर्ट में कार्यकाल:
    • सहायक सरकारी वकील और लोक अभियोजक (1992-93)
    • अतिरिक्त न्यायाधीश (2003)
    • स्थायी न्यायाधीश (2005)
  • सुप्रीम कोर्ट नियुक्ति: 24 मई 2019

संविधान पीठों में महत्वपूर्ण योगदान

  1. अनुच्छेद 370 (2023): जम्मू-कश्मीर से विशेष दर्जा हटाने को सर्वसम्मति से वैध ठहराया।
  2. नोटबंदी (2023): 4:1 बहुमत से 2016 की नोटबंदी को वैध करार दिया।
  3. इलेक्टोरल बॉन्ड योजना (2024): राजनीतिक चंदे में पारदर्शिता के लिए योजना को असंवैधानिक घोषित किया।
  4. ईडी निदेशक का कार्यकाल (2023): कार्यकाल विस्तार को असंवैधानिक मानते हुए समयसीमा तय की।
  5. बुलडोजर कार्रवाई (2024): बिना कारण बताओ नोटिस दिए संपत्ति ध्वस्त करने को अवैध ठहराया।

अन्य प्रमुख फैसले

  • राजीव गांधी हत्याकांड: दोषियों की रिहाई को मंजूरी दी।
  • वणियार आरक्षण: तमिलनाडु सरकार के फैसले को असंवैधानिक करार दिया।
  • मोदी सरनेम केस: राहुल गांधी को राहत।
  • तीस्ता शीतलवाड़ को जमानत
  • दिल्ली शराब घोटाला: मनीष सिसोदिया और के. कविता को जमानत

पारिवारिक पृष्ठभूमि

जस्टिस गवई के पिता आर.एस. गवई एक प्रख्यात सामाजिक कार्यकर्ता और बिहार तथा केरल के राज्यपाल रह चुके हैं। सामाजिक न्याय और संवैधानिक मूल्यों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता उनके निर्णयों में भी झलकती है।

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