
- यूपीपीसीएल चेयरमैन की फटकार से बिजली विभाग में मचा हड़कंप
- बदायूं के घोटाले ने खोली विभागीय भ्रष्टाचार और मनमानी की परतें
- धरना-प्रदर्शन से बौखलाए अधिकारी, चेयरमैन ने दिया अल्टीमेटम : समस्याओं का तत्काल समाधान करो वरना होगी बड़ी कार्रवाई
भास्कर ब्यूरो
बरेली। उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन (यूपीपीसीएल) में वर्षों से पनप रहे अनाचार और अधिकारीशाही की कलई सोमवार को उस समय खुलकर सामने आ गई जब राज्य विद्युत परिषद जूनियर इंजीनियर्स संगठन ने बरेली में मुख्य अभियंता सेकंड कार्यालय के बाहर जबरदस्त प्रदर्शन किया।
प्रदर्शनकारियों की गूंज और लगातार बढ़ते आक्रोश ने शासन तक हलचल मचा दी। खुद यूपीपीसीएल के चेयरमैन आशीष गोयल को कड़ा संदेश देना पड़ा, “धरना तत्काल समाप्त कराओ और समस्याओं का त्वरित निस्तारण करो।” पूरा मामला बदायूं जिले से जुड़ा है, जहां बिल्सी उपखंड अधिकारी इंजीनियर शोएब अंसारी को बिना किसी ठोस जांच के नियमविरुद्ध और एकतरफा तरीके से निलंबित कर दिया गया। यही नहीं, संगठन के पदाधिकारियों इं. धर्मात्मा कुमार (जिलाध्यक्ष), इं.रवि कुमार (जिलासचिव), इं. रणधीर सिंह (जिलाउपाध्यक्ष) और इं. रजनीश सिंह (प्रचार सचिव) का भी बिना किसी औपचारिक प्रक्रिया के मनमाने तरीके से स्थानांतरण कर दिया गया।इन घटनाओं ने संगठन के भीतर भारी असंतोष पैदा कर दिया और आखिरकार बरेली में मुख्य अभियंता सेकंड कार्यालय के सामने आंदोलन की शक्ल ले ली।

प्रदर्शन के दबाव में मुख्य अभियंता ने संगठन के प्रतिनिधियों को वार्ता के लिए बुलाया। संगठन ने इं. अशोक कुमार, अधीक्षण अभियंता, बदायूं पर साक्ष्य सहित गंभीर आरोप लगाए जिसमें नियमों की धज्जियां उड़ाना, मनमानी आदेश देना और इंजीनियरों का उत्पीड़न करना शामिल था।चौंकाने वाली बात यह रही कि मुख्य अभियंता ने खुद यह स्वीकार किया कि अधीक्षण अभियंता बदायूं ने गलतियाँ की हैं, लेकिन इसके बावजूद किसी भी तरह की ठोस कार्रवाई करने से साफ इंकार कर दिया। इस लचर रवैये ने प्रदर्शनकारियों के गुस्से को और भड़का दिया।
राज्य विद्युत परिषद जूनियर इंजीनियर्स संगठन ने प्रबंधन के सामने तीन स्पष्ट मांगे रखीं
इं. शोएब अंसारी का निलंबन रद्द किया जाए। 400/250 केवीए ट्रांसफार्मर क्षति मामले में लगाए गए फर्जी विविध प्रकीर्ण आदेश वापस लिए जाएं। बदायूं के संगठन पदाधिकारियों के स्थानांतरण निरस्त कर दोषी अधिकारियों के खिलाफ निष्पक्ष जांच की जाए। संगठन ने यह भी चेतावनी दी कि जब तक मांगें पूरी नहीं होतीं, बरेली और पीलीभीत शाखाओं के सभी सदस्य विरोध प्रदर्शन जारी रखेंगे। विरोध सभा में एक सुर में घोषणा की गई कि यदि इस दौरान किसी भी सदस्य का प्रबंधन उत्पीड़न करता है, तो आंदोलन पूरे क्षेत्र में उग्र रूप ले लेगा।
इसकी पूरी जिम्मेदारी बिजली विभाग के उच्चाधिकारियों पर डाली गई। संगठन के सदस्य साफ बोले कि अगर इंसाफ नहीं मिला, तो बरेली से लखनऊ तक सड़कें गूंजेंगी।जैसे ही मामले ने तूल पकड़ा, यूपीपीसीएल चेयरमैन आशीष गोयल को खुद दखल देना पड़ा। उन्होंने सीधे मुख्य अभियंता सेकंड और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को फटकार लगाते हुए कहा कि प्रदर्शन तुरंत समाप्त कराया जाए और सभी समस्याओं का तत्काल समाधान हो। चेयरमैन के कड़े रुख के बाद आनन-फानन में बदायूं और बरेली के अधिकारियों में अफरातफरी मच गई। मंगलवार को विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व इं. के के महेश्वरी (सेवानिवृत्त अवर अभियंता) ने किया। उनके साथ इं. आरके शर्मा, इं. धर्मेंद्र यादव, इं. संजीव प्रभाकर, इं. अमित कुमार सक्सेना, इं. गजेंद्र यादव, इं. निखिल जायसवाल, इं. राजेंद्र प्रसाद, इं. रमेश कुमार, इं. वीरू सिंह, इं. आलोक प्रजापति, इं. सुनील सिंह, इं. अमर सिंह, इं. शैलेश कुमार जैसे कई वरिष्ठ व सक्रिय सदस्य मौजूद रहे।
इन वरिष्ठ इंजीनियरों ने चेतावनी दी कि अब जूनियर इंजीनियर संगठन को कमजोर समझने की भूल प्रबंधन को भारी पड़ेगी। यदि जल्द से जल्द दोषियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई तो राज्य भर में आंदोलन का बिगुल बजा दिया जाएगा। इस घटनाक्रम ने बदायूं जिले में बिजली विभाग की गड़बड़ी को उजागर कर दिया है। अधीक्षण अभियंता अशोक कुमार जैसे अधिकारी खुलेआम नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं और अपने खिलाफ उठने वाली हर आवाज को दबाने के लिए साजिश कर रहे हैं।
शोएब अंसारी का निलंबन इसका ज्वलंत उदाहरण है बिना जांच, बिना सुनवाई, सीधे फर्जी आरोप गढ़कर उन्हें सस्पेंड कर दिया गया।