Pahalgam Attack: क्या आतंकियों ने किया था चीनी ऐप्स और सैटेलाइट फोन का उपयोग… स्कॉटिश नेता के इस बयान से मचा बवाल

पहलगाम आतंकी हमले की जांच में बड़ा खुलासा हुआ है. खुफिया एजेंसियों ने पता लगाया है कि हमलावर पाकिस्तानी आकाओं के साथ संपर्क साधने के लिए प्रतिबंधित चीनी मैसेजिंग ऐप का उपयोग कर रहे थे.ये अत्यधिक एन्क्रिप्टेड ऐप भारत में 2020 के गलवान संघर्ष के बाद बैन कर दिए गए थे, लेकिन अब आतंकियों द्वारा फिर से इनका इस्तेमाल सामने आया है. हमले के दिन इलाके में चीनी सैटेलाइट फोन की मौजूदगी भी दर्ज की गई, जो एनआईए की जांच का केंद्र बन गया है.

जानकारों के मुताबिक आतंकवादी संगठन अब ऐसे संचार उपकरणों का इस्तेमाल कर रहे हैं, जो मिलिट्री-ग्रेड एन्क्रिप्शन से लैस हैं. इनमें एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन, क्वांटम-प्रतिरोधी एल्गोरिदम और स्टेग्नोग्राफी जैसी तकनीकें शामिल हैं. ये डिवाइस बेहद तेज़ी से रेडियो फ्रीक्वेंसी बदलते हैं ताकि उनकी पहचान न हो सके. साथ ही, सैटेलाइट फोन स्थानीय नेटवर्क को बायपास कर सीधे वैश्विक संचार से जुड़े रहते हैं, जिससे इनका पता लगाना और भी मुश्किल हो जाता है. आइये जानते हैं पहलगाम मामले में अब तक क्या क्या हुआ है… 

पाकिस्तानी अपने हाथ में ले सत्ता: स्कॉटिश नेता

स्कॉटिश लेबर पार्टी के नेता अनस सरवर को एक वायरल वीडियो के बाद कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा है, जिसमें वे पाकिस्तानी झंडे के सामने खड़े होकर पाकिस्तानी समुदाय से “काउंसिल, संसद, राजनीतिक दलों और देशों में सत्ता संभालने” का आह्वान कर रहे थे, ताकि वे “स्कूलों में क्या पढ़ाया जाए, यह तय कर सकें.” सरवर ने वीडियो में कहा, ‘एक बदलाव आ रहा है’ और दक्षिण एशियाई समुदाय से राजनीतिक और शैक्षिक रूप से अधिक शक्तिशाली बनने की अपील की. हालांकि, दर्शकों ने सरवर के भाषण में ब्रिटेन या स्कॉटलैंड के संदर्भ की कमी को तुरंत नोटिस किया.

भारत-पाक तनाव पर चीन की चिंता

इस बीच, चीन ने एक बार फिर पाकिस्तान के प्रति अपना समर्थन दोहराया है. चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने पाकिस्तानी उपप्रधानमंत्री इशाक डार से फोन पर बातचीत करते हुए पहलगाम हमले के बाद भारत-पाक तनाव पर चिंता जताई और निष्पक्ष जांच की मांग रखी. पाकिस्तान ने भी बयान जारी कर चीन के इस समर्थन पर आभार जताया और दोनों देशों के बीच “ऑल वेदर स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप” को दोहराया. 

प्रोफेसर ने पाक सेना प्रमुख को लताड़ा

पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर ने हाल ही में टू नेशन थ्योरी को लेकर बयान दिया था. इसे लेकर पाकिस्तानी मूल के प्रोफेसर इश्तियाक अहमद ने जनरल मुनीर को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया है और उनसे यह सवाल किया है कि क्या उन्हें याद है कि पाकिस्तान के नाम का प्रस्ताव देने वाले चौधरी रहमत अली के शव को भी पाकिस्तान में दफनाने की अनुमति नहीं दी गई थी. 2017 में उनके अवशेषों को पाकिस्तान लाने की मांग की गई थी, लेकिन कोई ठोस परिणाम नहीं आया. अहमद ने अल्लामा इकबाल की 1930 की इलाहाबाद स्पीच का उल्लेख किया, जिसे बाद में पाकिस्तान के गठन का आधार माना गया था, लेकिन उस समय इसके लिए कोई ठोस प्रस्ताव नहीं था.

ओवैसी ने क्या कहा?

AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने पाकिस्तान पर कड़ा हमला किया है. ओवैसी ने कहा कि पाकिस्तान भारत से केवल आधे घंटे नहीं, बल्कि आधी सदी पीछे है. पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले में 26 निर्दोष पर्यटकों की हत्या के बाद से ओवैसी आतंकवाद और पाकिस्तान के खिलाफ लगातार मुखर हो गए हैं. ओवैसी ने कहा कि तुम किस मजहब की बात करते हो? तुम तो खवारिज से भी बदतर हो. मासूमों से उनका धर्म पूछकर हत्या करना तुम्हारा धर्म नहीं हो सकता. ओवैसी ने स्पष्ट तौर पर कहा कि पाकिस्तान का आतंकवाद से संबंध अब किसी से छिपा नहीं रहा है.

UNSC से बयान से हटवाया TRF का नाम

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पहलगाम हमले की निंदा करने वाले बयान में TRF का नाम शामिल न करने के लिए पाकिस्तान और चीन ने मिलकर दबाव डाला. यह कदम पाकिस्तान के कथित लिंक को छिपाने की रणनीति का हिस्सा प्रतीत होता है. जब पाकिस्तान ने TRF का नाम बयान से हटवाने में सफलता हासिल की, तो इसका उद्देश्य स्पष्ट था कि इससे अंतरराष्ट्रीय समुदाय में पाकिस्तान के साथ इस आतंकी संगठन के रिश्ते का पर्दाफाश न हो पाए. एक्सपर्ट्स का मानना है कि पाकिस्तान ने जानबूझकर TRF का नाम हटवाया, क्योंकि इससे संगठन के पाकिस्तान से सीधे संबंध साबित हो सकते थे.

अपने बयान से पलटा TRF

TRF ने अपने पहले के बयान से पलटते हुए कहा है कि उसने पहलगाम हमले की जिम्मेदारी नहीं ली थी. उसने यह दावा किया कि उसके अकाउंट्स पर साइबर अटैक हुआ था, जिसके कारण गलत जानकारी फैल गई. यह स्पष्ट संकेत है कि पाकिस्तान ने न केवल UN में TRF का नाम हटवाने के लिए दबाव डाला, बल्कि अब आतंकी संगठन को भी अपने शुरुआती बयान से पीछे हटने के लिए मजबूर किया है, ताकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान की छवि को नुकसान न पहुंचे.

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