सोशल मीडिया और OTT पर नहीं दिखेंगे अश्लील कंटेंट, जानिए SC ने क्या कहा….

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में OTT (ओवर-द-टॉप) और सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर बढ़ते अश्लील कंटेंट पर गहरी चिंता व्यक्त की है। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में ठोस और प्रभावी कानून की आवश्यकता है और मामले की सुनवाई करते हुए एक याचिका का परीक्षण करने का निर्णय लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर एक नोटिस भी जारी किया और संबंधित पक्षों से जवाब मांगा है।

कोर्ट का बयान
जस्टिस बी आर गवई ने कहा, “OTT और सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर अश्लील सामग्री को नियंत्रित करने के लिए कदम उठाना कार्यपालिका और विधायिका का काम है। हमें आलोचना का सामना करना पड़ रहा है कि सुप्रीम कोर्ट विधायिका और कार्यपालिका के अधिकार क्षेत्र में दखल दे रहा है, लेकिन यह एक गंभीर समस्या है, जिस पर कार्रवाई होनी चाहिए।”

केंद्र की दलील
केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत में बताया कि कुछ नियम पहले से लागू हैं, जबकि कुछ नए नियमन पर विचार किया जा रहा है। उन्होंने कहा, “हम इसे किसी भी प्रतिकूल तरीके से नहीं ले रहे हैं, लेकिन हम चिंतित हैं कि बच्चों को इस प्रकार की सामग्री के बारे में जानकारी हो रही है। कुछ प्रोग्रामों में ऐसी भाषा का इस्तेमाल होता है, जो विकृत होती है और जिसे परिवार के सदस्य एक साथ बैठकर नहीं देख सकते।”

नेशनल कंटेंट कंट्रोल ऑथोरिटी की मांग
याचिका में यह मांग की गई थी कि सुप्रीम कोर्ट एक नेशनल कंटेंट कंट्रोल ऑथोरिटी का गठन करे, जो इन प्लेटफार्मों पर अश्लीलता को नियंत्रित करने के लिए दिशानिर्देश तय करे। पत्रकार उदय माहूरकर की ओर से दाखिल इस याचिका में यह भी कहा गया कि इन प्लेटफार्मों पर अश्लील सामग्री के लिए कोई ठोस नियंत्रण नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट का कदम
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार, OTT और सोशल मीडिया प्लेटफार्मों जैसे Netflix, Ullu Digital Limited, Alt Balaji, Twitter, Meta Platforms और Google को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने कहा कि कुछ कदम उठाए जाने चाहिए, ताकि इस बढ़ती हुई समस्या का समाधान हो सके।

वकील का बयान
याचिकाकर्ता के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा, “यह कोई प्रतिकूल याचिका नहीं है, बल्कि यह एक गंभीर और चिंता का विषय है। अश्लील सामग्री बिना किसी प्रतिबंध के सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर चल रही है, जिससे समाज पर बुरा असर पड़ सकता है।”

इस मामले की सुनवाई अगले सप्ताह फिर से होगी, और सुप्रीम कोर्ट ने इस पर विस्तृत विचार करने की बात कही है।

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