बांदा : जिले में धड़ल्ले से चल रहा अवैध खनन का तांडव, नदियों के अस्तित्व पर मंडराया खतरा

  • गर्मी की शुरूआत में ही संकट में पड़ता दिख रहा जीवनदायिनी केन का अस्तित्व
  • नदियों में गरज रहीं बालू माफिया की भारी भरकम मशीनें, जिम्मेदारों ने साधी चुप्पी

बांदा। हर साल भीषण गर्मी के मौसम में जानलेवा पेयजल संकट से जूझने वाला जनपद इस बार गर्मी की शुरूआत में ही पीने के पानी के संकट से जूझने लगा है। जीवनदायिनी केन नदी अभी से नाले में तब्दील होने लगी है। अभी से शहर की पेयजल आपूर्ति के लिए केन नदी पर बने इंटक वेल सूखने लगे हैं। जानकार इन सबके पीछे एकमात्र बालू खनन को ही कारण बताते हैं। उधर लोगों की समस्याओं से बेखबर बालू माफिया धड़ल्ले से नियमों काे ताक पर बालू का अवैध खनन करने में जुटे हैं। बालू माफिया जिला प्रशासन को कमाई का मोटा हिस्सा देकर नदियों का सीना चीर रहे हैं और नदियों की जलधारा में खुलेआम प्रतिबंधित भारी भरकम मशीनरी गरज रही है।

जिले में इन दिनों करीब दर्जन भर से अधिक बालू की खदानें संचालित हैं आैर बालू खदानों में खुलेआम अवैध खनन का तांडव चल रहा है। अधिक से अधिक धन अर्जित करने की ललक में बालू माफिया निर्धारित खनन क्षेत्र को छोड़कर नदी की जलधारा पर भारी भरकम मशीनों के जरिए बालू की निकासी कर रहे हैं और सरकारी राजस्व के साथ ही पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं। बालू खनन के मामले में जिले में चहुंओर तहलका मचा हुआ है। पैलानी क्षेत्र की मड़ौली खुर्द, खप्टिहाकलां, सांड़ी और सादीमदनपुर से सदर तहसील की पथरी, बेंदा और नरैनी की बरियारी व सिल्पाही तक धड़ल्ले से अवैध खनन और ओवलोडिंग का खेल खेला जा रहा है।

पैलानी की मड़ौली खुर्द केन नदी की बालू खदान है, यहां का संचालक खुद को सपा सुप्रीमो का खासम खास बताता है और सपा मुखिया के रसूख की दम पर धड़ल्ले से बालू का अवैध खनन करा रहा है। वर्षाकाल शुरू होने में अभी दो माह का समय शेष बचा है, ऐसे में सभी बालू खदानों के संचालक ताबड़तोड़ अवैध खनन में जुटे हैं। कई खदान संचालकों ने तो अभी से बालू का भंडारण करना भी तेज कर दिया है। ताकि वर्षाकाल में बालू की मनमाने दामों में बिक्री की जा सके।

हालांकि बालू के अवैध खनन के लिए जितना दोषी खदान संचालक हैं, उतना ही स्थानीय प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारियों को भी माना जा रहा है। सूत्रों की माने तो अवैध बालू खनन की काली कमाई का मोटा हिस्सा स्थानीय प्रशासन तक पहुंचाकर बालू माफिया मनमानी करने की खुली छूट प्राप्त कर लेते हैं। जबकि बालू की अवैध खुदाई का खामियाजा आम जनता को प्यास से भुगतना पड़ सकता है। यही हाल रहा तो वह दिन दूर नहीं जब शहर के लोगों को बूंद बूंद पानी के तरसना पड़ सकता है।

अवैध खनन का अड्‌डा बनी नरैनी की बरियारी व सिल्पाही खदान

वैसे तो कमोवेश जिले की सभी खदानों में बालू का अवैध खनन किया जा रहा है, लेकिन नरैनी क्षेत्र की बरियारी और सिल्पाही बालू खदान इन दिनों अवैध खनन के लिए खासा चर्चित है। बरियारी बालू खदान में जहां कानपुर के एक कारोबारी ने जिम्मा संभाल रखा है, वहीं सिल्पाही खदान का ठेका कांग्रेस के एक दिग्गज नेता की शह पर एक अधिवक्ता के हवाले है। सूत्रों की माने तो सिल्पाही खदान के संचालक कांग्रेसी दिग्गज का पूरा काम कचेहरी में वकालत करने वाले एक अधिवक्ता महोदय संभालते हैं और जिला प्रशासन से लेकर स्थानीय अफसरों तक को अपनी जेब में रखने का दम भरते हैं।

जबकि बरियारी खदान का संचालक कानपुर का एक बड़ा कारोबारी बताया जाता है और जिले में कई खदानों में उसका सीधा हस्तक्षेप भी है। कुल मिलाकर बालू के अवैध खनन और ओवरलोडिंग का खेल प्रशासन की शह पर खुलेआम खेला जा रहा है और सरकारी राजस्व को लाखों का नुकसान पहुंचाकर अपनी जेबें भरने का काम चल रहा है।

कार्रवाई के नाम अफसर कर रहे खानापूरी

बालू खदानों में चल रही अवैध खनन और ओवरलोडिंग की बयार के बीच जिम्मेदार अफसर वैसे तो अपनी आंखे मूदे रहते हैं और बालू माफिया से मिलने वाले हिस्से की दम पर मूक सहमति दिए रहते हैं। लेकिन खदान संचालकों के खिलाफ होने वाली शिकायतों के निस्तारण के नाम पर अफसरों की टीम बालू खदानों में मामूली जुर्माना लगाकर कार्रवाई की इतिश्री करने का ढोंग भी करते हैं। देखा जाए तो बालू माफिया पर होने वाली जुर्माने की कार्रवाई सरकारी खजाने में ऊंट के मुंह में जीरा ही साबित होती है।

सूत्र बताते हैं कि जुर्माने से अधिक रकम तो प्रति माह बालू माफिया प्रशासनिक अफसरों की जी हुजूरी हासिल करने के लिए खर्च करते हैं। सरकारी राजस्व को लाखों का नुकसान पहंुचाकर बालू माफिया और जिम्मेदार अधिकारी अपनी जेबें भरने में अधिक ध्यान देते हैं। उधर खनिज अधिकारी राज रंजन कुमार बालू खनन पर रटा रटाया जवाब ही देकर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं। उनका कहना है कि शिकायत मिलने पर कार्रवाई की जाती है और संयुक्त टीम के लोग समय समय पर बालू खदानों में छापामार कार्रवाई भी करते हैं।

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