लखीमपुर खीरी : वर्दी पर आरोप, दिव्यांग भाजपा पदाधिकारी के साथ बर्बरता, कोतवाली में जातिसूचक गालियां देकर की पिटाई

लखीमपुर खीरी। जिले के मोहम्मदी कोतवाली क्षेत्र में कानून के रखवाले ही जब कानून को रौंदने पर उतारू हो जाएं, तो आमजन किससे न्याय की उम्मीद करे? ऐसा ही एक शर्मनाक मामला सामने आया है जिसमें मोहम्मदी कोतवाली के प्रभारी निरीक्षक इंद्रजीत सिंह पर सत्ता दल से जुड़े एक दिव्यांग, दलित पदाधिकारी को कोतवाली में बुलाकर बेरहमी से पीटने और जातिसूचक गालियां देने का आरोप लगा है। पीड़ित ने उच्चाधिकारियों समेत भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से न्याय की गुहार लगाई है।

पीड़ित ने सुनाई आपबीती

मोहल्ला शंकरपुर छावनी निवासी राममिलन त्यागी, जो भारतीय जनता पार्टी अनुसूचित मोर्चा अवध क्षेत्र के क्षेत्रीय मंत्री हैं, ने बताया कि उनका एक प्लॉट से संबंधित विवाद न्यायालय में विचाराधीन है। इसी मामले को लेकर उन्हें कोतवाली बुलाया गया था। राममिलन को यह नहीं बताया गया कि किस विषय में बुलाया गया है।

पीड़ित राममिलन

कोतवाली पहुंचते ही प्रभारी निरीक्षक इंद्रजीत सिंह ने बिना किसी बातचीत के उन्हें थप्पड़ मारना शुरू कर दिया। जब राममिलन ने अपना परिचय देते हुए बताया कि वह भाजपा अनुसूचित मोर्चा के क्षेत्रीय मंत्री हैं, तब कोतवाल और ज्यादा आक्रोशित हो गए और उन पर थप्पड़ों की बरसात कर दी।

राममिलन पहले से ही पैरों से दिव्यांग हैं, ऐसे में वे संतुलन खो बैठे और ज़मीन पर गिर पड़े। पिटाई के कारण उनके मुंह से खून निकलने लगा। चौंकाने वाली बात यह रही कि घायल अवस्था में भी उन्हें शांति भंग की धारा में चालान कर दिया गया।

पार्टी पदाधिकारी की गरिमा तार-तार

राममिलन त्यागी ने बताया कि पिछले चार चुनावों से उनके क्षेत्र में सभासद पद उनके घर के सदस्यों में ही काबिज हैं और क्षेत्र में उनकी छवि एक ईमानदार व सेवाभावी नेता के रूप में है। लेकिन कोतवाली प्रभारी की इस शर्मनाक हरकत ने उनकी छवि को गहरा आघात पहुंचाया है। उनका कहना है कि उन्हें मानसिक आघात हुआ है और उनका पूरा व्यक्तित्व प्रभावित हुआ है।

पीड़ित राममिलन का विकलांगता का प्रमाण पत्र

विवादित प्लॉट बना उत्पीड़न की वजह

राममिलन ने बताया कि जिस प्लॉट को लेकर यह विवाद है, वह उनके पिता के नाम था, जिसे कुछ विपक्षियों ने धोखे से बैंक में पैसे देने का झांसा देकर बैनामा करवा लिया। हालांकि बैंक खाते में कोई धनराशि नहीं पहुंची। यह मामला कोर्ट में विचाराधीन है और निर्णय राममिलन के पक्ष में आने वाला है। इसी को लेकर विपक्षियों ने साजिश रचते हुए पुलिस से उनकी पिटाई करवाई। इतना ही नहीं, जब राममिलन को पीटा जा रहा था, तब विपक्षी कोतवाली में आराम से कुर्सी पर बैठे हुए थे।

पीड़ित ने दी आंदोलन की चेतावनी

पीड़ित ने कहा कि यदि इस बार भी उन्हें न्याय नहीं मिला, तो वे आत्मदाह जैसे कदम उठाने के लिए भी मजबूर हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा के कार्यकर्ताओं पर पूर्व में भी हमले हो चुके हैं, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। अब उन्होंने उच्च अधिकारियों से सख्त से सख्त कार्रवाई की मांग की है और चेतावनी दी है कि यदि जल्द न्याय न मिला तो वह बड़ा आंदोलन करेंगे।

प्रशासन मौन, सत्ताधारी दल की साख दांव पर

यह मामला केवल एक व्यक्ति पर अत्याचार का नहीं, बल्कि सत्ता दल के एक दिव्यांग, दलित पदाधिकारी की गरिमा पर सीधा प्रहार है। यदि अब भी प्रशासन ने आंखें मूंदे रखीं, तो यह संदेश जाएगा कि कानून के रखवाले ही अब उत्पीड़न के हथियार बन गए हैं।

अब देखना ये होगा कि क्या प्रभारी निरीक्षक इंद्रजीत सिंह पर कठोर कार्रवाई होगी? क्या सत्ता दल अपने ही कार्यकर्ता की रक्षा करेगा? क्या पीड़ित को न्याय मिलेगा या फिर न्याय के लिए उसे अपनी जान तक जोखिम में डालनी पड़ेगी? जनता और संगठन की निगाहें अब प्रशासनिक और राजनीतिक निर्णय पर टिकी हैं।

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