
भास्कर ब्यूरो
- नगर निगम में मचा हड़कंप
बरेली। नगर निगम में 5.25 करोड़ रुपये के टेंडर घोटाले का खुलासा हुआ है। जांच में पता चला है कि ब्लैकलिस्टेड परमार कंस्ट्रक्शन कंपनी ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर यह टेंडर हासिल किया। मामले की गंभीरता को देखते हुए नगर आयुक्त संजीव कुमार मौर्य के निर्देश पर तीन सदस्यीय जांच समिति बनाई गई थी, जिसने रिपोर्ट सौंप दी है। रिपोर्ट में फर्म को दोषी ठहराया गया है, वहीं टेंडर कमेटी की भूमिका पर भी सवाल उठे हैं। नगर आयुक्त ने फर्म को नोटिस जारी कर तीन दिन में जवाब मांगा है।
महत्वपूर्ण तथ्य छिपाए, अफसरों को गुमराह किया
जांच समिति में उप नगर आयुक्त पूजा त्रिपाठी, मुख्य अभियंता मनीष अवस्थी और लेखाधिकारी अनुराग सिंह शामिल थे। समिति की रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि फर्म ने ब्लैकलिस्टेड होने की जानकारी छिपाई और अधिकारियों को गुमराह कर टेंडर प्राप्त किया। टेंडर प्रक्रिया में शामिल अधिकारियों से भी स्पष्टीकरण मांगा गया है।
दस्तावेजों की जांच में लापरवाही
जांच में यह तथ्य भी सामने आया कि टेंडर कमेटी ने फर्म के दस्तावेजों की ठीक से जांच नहीं की। न ही यह पुष्टि की कि फर्म पहले से प्रतिबंधित है। इस लापरवाही पर समिति के सदस्यों की भूमिका संदिग्ध मानी जा रही है और उनके खिलाफ कार्रवाई की संभावनाएं जताई जा रही हैं।
अन्य टेंडरों की भी होगी जांच
नगर निगम अब परमार कंस्ट्रक्शन द्वारा डाले गए अन्य टेंडरों की समीक्षा भी करेगा। यह भी पता लगाया जा रहा है कि किन अधिकारियों की मिलीभगत से इस फर्म को काम मिला। फर्म की सहयोगी इकाइयों की भी जांच शुरू हो चुकी है।
जवाब न मिलने पर होगी सख्त कार्रवाई
फिलहाल फर्म को नोटिस जारी कर तीन दिन में जवाब मांगा गया है। नगर आयुक्त ने चेतावनी दी है कि तय समय में जवाब नहीं देने पर न सिर्फ फर्म बल्कि संबंधित अधिकारियों और कर्मचारियों पर भी सख्त कार्रवाई की जाएगी।
नगर आयुक्त संजीव कुमार मौर्य, बोले — नहीं बख्शे जाएंगे दोषी
“नगर निगम की छवि धूमिल करने वालों को किसी सूरत में नहीं बख्शा जाएगा — चाहे वह ठेकेदार हो, कर्मचारी या अधिकारी। नियमानुसार कठोर कार्रवाई की जाएगी।”