
यूरोपीय संघ (EU) ने टेक इंडस्ट्री में अपनी अब तक की सबसे सख्त कार्रवाई करते हुए Apple और Meta जैसी अमेरिकी दिग्गज कंपनियों पर Digital Markets Act (DMA) के तहत भारी-भरकम जुर्माना ठोका है। यह फैसला 1 साल की गहन जांच के बाद सामने आया है, और इसका मकसद है — डिजिटल बाजार में प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना और तकनीकी एकाधिकार को तोड़ना।
किस पर कितना जुर्माना?
- Apple: ₹4,800 करोड़ रुपये (लगभग €540 मिलियन)
- Meta (Facebook/Instagram): ₹1,900 करोड़ रुपये (लगभग €215 मिलियन)
DMA के मुताबिक, ये कंपनियां अपने प्लेटफॉर्म पर प्रतियोगियों को अनुचित तरीके से ब्लॉक कर रही थीं, जिससे छोटे व्यवसायों और उपभोक्ताओं के पास विकल्प सीमित हो गए।
अमेरिका की नाराज़गी: “आर्थिक जबरन वसूली!”
EU के इस ऐतिहासिक कदम पर अमेरिका ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। व्हाइट हाउस के प्रवक्ता ने कहा:
“यह कार्रवाई नवाचार को नुकसान पहुंचाती है, अमेरिकी कंपनियों को कमजोर करती है और लोकतांत्रिक समाज के लिए खतरा बन सकती है।”
अमेरिका ने इस जुर्माने को भेदभावपूर्ण और पक्षपातपूर्ण बताया, जो खास तौर पर अमेरिकी टेक कंपनियों को निशाना बना रहा है।
क्या अमेरिका-यूरोप के बीच बढ़ेगा तनाव?
यह फैसला सिर्फ जुर्माने तक सीमित नहीं रह सकता। विशेषज्ञों का मानना है कि:
- ट्रेड टेंशन बढ़ सकता है।
- अमेरिका जवाबी कार्रवाई के तहत टैरिफ लगा सकता है।
- टेक कंपनियों की वैश्विक रणनीति प्रभावित हो सकती है।
पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पहले ही कह चुके हैं कि यदि अमेरिकी कंपनियों को बाहर नुकसान होता है, तो आर्थिक जवाब दिया जाएगा।
DMA : आखिर क्या है ये कानून?
Digital Markets Act (DMA) एक नया यूरोपीय कानून है जिसका लक्ष्य है:
- गेटकीपर कंपनियों (जैसे Apple, Meta, Google) को जवाबदेह बनाना
- छोटे व्यवसायों और स्टार्टअप्स को बाजार में बराबरी का मौका देना
- यूजर्स को ज्यादा कंट्रोल और विकल्प प्रदान करना
यह कानून टेक कंपनियों को अपने प्लेटफॉर्म पर अन्य सर्विसेज को ब्लॉक करने या प्राथमिकता देने से रोकता है।