
नई दिल्ली। बुधवार को बॉम्बे हाईकोर्ट (HC) ने एक मामले की सुनवाई के दौरान आदान-प्रदान किए गए ईमेल और पत्रों को न्यायालय की आपराधिक अवमानना के समान करार दिया। कोर्ट ने कहा कि इस संचार का लहजा और विषयवस्तु ‘जानबूझकर और बेशर्मी से अपमानजनक’ थी, जिसका उद्देश्य 21 जनवरी को हाईकोर्ट के पिछले आदेश की अवहेलना करना था।
बॉम्बे HC ने आगे टिप्पणी की कि न्यायालय को ‘कुत्ता माफिया’ कहने जैसी अभद्र टिप्पणियाँ शिक्षित व्यक्तियों से अपेक्षित नहीं थीं। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि ऐसे बयानों से एक गंभीर संज्ञान लिया जाएगा और आदेशों का पालन न करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
इस मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि न्यायपालिका की गरिमा के खिलाफ किसी भी प्रकार का अपमान बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और आवश्यकतानुसार सख्त कदम उठाए जाएंगे। न्यायालय ने संबंधित पक्षों को इस मामले में पेश होकर स्पष्टीकरण देने के लिए भी समन भेजा गया।
बॉम्बे हाईकोर्ट के इस निर्णय से साफ है कि न्यायालय अपने आदेशों और प्रतिष्ठा की रक्षा करने के लिए संकल्पित है और किसी भी प्रकार की अवमानना को बर्दाश्त नहीं करेगा।