भाकपा माले का स्थापना दिवस : लाल झंडा फहरा कर फासीवादी व्यवस्था से संघर्ष का संकल्प

  • विभाजन के विरुद्ध जन एकता पर हो जोर : कौशल किशोर
  • अगली लड़ाई के लिए तैयारी करनी है: शिवाजी राय
  • लोकतंत्र और संविधान खतरे में: रमेश सिंह सेंगर

लखनऊ। सर्वहारा के अंतराष्ट्रीय नेता कामरेड लेनिन के जन्मदिवस तथा भाकपा (माले) के 56 वें स्थापना दिवस पर लालकुआं स्थित लेनिन पुस्तक केंद्र में लेनिन तथा माले के संस्थापक महासचिव चारु मजूमदार के चित्र पर माल्यार्पण किया गया तथा लाल झंडा फहरा कर फासीवादी व्यवस्था से संघर्ष का संकल्प लिया गया।
कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए जन संस्कृति मंच (जसम) उत्तर प्रदेश के कार्यकारी अध्यक्ष कौशल किशोर ने कहा कि हमारे देश में जन आंदोलनों की लंबी परंपरा है। तेभागा, तेलंगाना जैसे आंदोलन हुए। नक्सलबाड़ी किसान आंदोलन के गर्भ से ही भाकपा-माले का जन्म हुआ। इसकी परंपरा संघर्ष और शहादत की है। आज भी हिंदी पट्टी में इसकी पहचान वामपंथ की संघर्षशील धारा की है।
कौशल किशोर का आगे कहना था कि दुनिया में और हमारे यहां दक्षिणपंथी शक्तियां आक्रामक हुई हैं। भारतीय फ़ासिज़्म का आधार कॉरपोरेट पूंजी है तो वहीं तमाम पिछड़े और दकियानूसी विचार हैं। दमन, परतंत्रता, विभाजन, नफरत आदि के द्वारा जनता को बांटने की कोशिश हो रही है। अल्पसंख्यक व मेहनतकश समुदाय निशाना बने हैं। ऐसे में जन एकता पर जोर देना और जन मुद्दों पर संघर्ष को तेज करना जनवादी और वामपंथी शक्तियों का मुख्य कार्यभार है।
मुख्य वक्ता के बतौर बोलते हुए किसान नेता शिवाजी राय ने कहा कि देश व दुनिया के कॉर्पोरेट ने भारत में फासिस्ट (धार्मिक) ताकतों से समझौता करके धार्मिक उन्माद पैदा कर, नोटबंदी, जीएसटी, लाकडाउन करके धोखे से मज़दूरों का क़ानून खत्म किया और तीन काले क़ृषि क़ानून लाया जिसके खिलाफ लम्बी लड़ाई लड़कर उसे वापस कराया गया। इसमें साढ़े सात सौ किसान शहीद हुए। पूरी लड़ाई में पार्टी की बड़ी भूमिका रही है। फासिस्ट सरकार फिर से विप्पणन का क़ानून बनाकर किसानों के उत्पादन को कॉर्पोरेट के कब्जे में देना चाहती है। यह किसान विरोधी ही नहीं जन विरोधी है। हमें अगली लड़ाई के लिए तैयारी करनी है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए माले के लखनऊ जिला प्रभारी कामरेड रमेश सिंह सेंगर ने कहा कि फासीवादी हमले दिन-ब-दिन बढ़ते जा रहे हैं। लोकतंत्र और संविधान खतरे में है। ऐसे में हमें और ज़्यादा एकता, ताक़त और दृढ़ संकल्प की ज़रूरत है। एक क्रांतिकारी कम्युनिस्ट पार्टी होने के नाते हमें इस लड़ाई में अगली कतार में रहकर नेतृत्व करना होगा। इसके लिए ज़रूरी है कि हम जनता से अपने रिश्ते को गहरा करें और उनके जीवन, रोज़ी-रोटी और आज़ादी से जुड़े हर मुद्दे को पूरे दमखम से उठाएं।

इस मौके पर आइसा के शांतम निधि, एपवा की कमला गौतम, एक्टू के मंसाराम आदि ने भी अपने विचार रखे। भाकपा माले द्वारा पार्टी के स्थापना दिवस पर जारी आह्वान पत्र भी पढ़ा गया । आज लखनऊ शहर और ग्रामीण क्षेत्र में पार्टी की ओर से स्थापना दिवस पर कई कार्यक्रम किए गए। यह आगे एक सप्ताह तक किए जाएंगे जिसमें सरकार की कॉर्पोरेट परस्त और विभाजनकारी नीतियों को केंद्र कर जन गोलबंदी की जाएगी

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