ईसानगर, लखीमपुर खीरी। कहते हैं दुख जब हद से गुजर जाए तो इंसान टूट जाता है। ऐसा ही एक दर्दनाक मंजर मंगलवार को ईसानगर थाना क्षेत्र के जेठरा गांव में देखने को मिला, जहां पति की मौत के ग़म में डूबी एक महिला ने अपनी ज़िंदगी समाप्त करने का फैसला कर लिया। लेकिन वक्त रहते ग्रामीणों की जागरूकता और इंसानियत ने उस मासूम बच्ची की मां की जान बचा ली।
जानकारी के मुताबिक, शिवपुर गांव निवासी दुर्गेश की पत्नी गुड़िया (उम्र लगभग 30 वर्ष) अपने जीवन साथी के अचानक हुए निधन के बाद से गहरे सदमे में थी। पति के गुजरने के बाद वह मानसिक तौर पर बेहद टूट चुकी थी और इसी पीड़ा में उसने मंगलवार को गांव के ही मंदिर के पास स्थित जेठरा नाले में छलांग लगाकर आत्महत्या करने का प्रयास किया।
इस दौरान गांव के समाजसेवी आनंद मिश्रा और कुछ अन्य ग्रामीणों की नजर महिला पर पड़ गई। बिना वक्त गंवाए ग्रामीणों ने तुरंत उसे नाले से बाहर निकाला और उसकी जान बचा ली। ग्रामीणों ने महिला को मंदिर में बिठाकर उसे सांत्वना दी और घटना की सूचना भास्कर संवाददाता ने स्थानीय पुलिस को दी।
सूचना मिलते ही ईसानगर थाने के प्रभारी निरीक्षक देवेंद्र गंगवार अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचे। पुलिस ने महिला को ग्रामीणों से सुपुर्दगी में लिया और उसे सुरक्षित परिजनों के हवाले किया।
महिला के पिता उदय भार्गव, जो संकरपुर ग्राम पंचायत के ठाकुरन पुरवा के निवासी हैं, भी सूचना पाकर तुरंत मौके पर पहुंच गए। उन्होंने बताया कि उनकी बेटी का संसार कुछ ही दिनों पहले उजड़ गया जब उसके पति दुर्गेश का असमय निधन हो गया। महिला की एक तीन साल की मासूम बच्ची भी है, जो अब मां के साये के सहारे ही जिंदगी की राह पर आगे बढ़ रही है।
स्थानीय लोगों के अनुसार, पति की मौत के बाद गुड़िया काफी समय से मानसिक तनाव में थी। पारिवारिक कलह और आर्थिक तंगी ने उसे इस हद तक तोड़ दिया कि उसने अपनी जान देने का प्रयास कर डाला। गनीमत रही कि गांव वालों की सतर्कता ने समय रहते एक जिंदगी को मौत के मुंह से खींच लिया।
पुलिस ने क्या कहा?
ईसानगर थाना प्रभारी निरीक्षक देवेंद्र गंगवार ने बताया कि महिला को परिजनों के सुपुर्द कर दिया गया है। साथ ही उसके मानसिक स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए आगे काउंसलिंग और हर संभव मदद का आश्वासन दिया गया है।
मासूम बच्ची की ममता ने भिगो दी सबकी आंखें
जब महिला को नाले से बाहर निकाला गया तो पास खड़ी उसकी मासूम बच्ची अपनी मां को देख फूट-फूट कर रो रही थी। यह दृश्य देखकर मौके पर मौजूद हर शख्स की आंखें भर आईं। गांव में इस घटना के बाद गहरा सन्नाटा पसरा हुआ है।
ग्रामीणों ने बचाई महिला की जान
जिस समाज में संवेदनशीलता और जागरूकता जिंदा हो, वहां जिंदगियां यूँ ही बचती हैं। गुड़िया की ज़िंदगी भी ऐसे ही जज्बातों और मानवीय करुणा की मिसाल बन गई।