
- दिव्यांग नारायणा का संकल्प-दुनिया को देना है जागरूकता का संदेश
- सीतापुर के जिलाधिकारी अभिषेक आनंद ने किया आत्मीय स्वागत
- 59 देशों का भ्रमण कर चुके हैं कनार्रटक के नारायणा
सीतापुर । सपनों की कोई सीमा नहीं होती, यह साबित कर दिखाया है कर्नाटक के दिव्यांग समाजसेवी बी.वी. नारायणा ने। मोटर चालित ट्राई साइकिल पर सवार होकर उन्होंने अब तक 96,000 किलोमीटर की यात्रा पूरी की है और 59 देशों का भ्रमण कर चुके हैं। उनका एक ही उद्देश्य समाज को दिव्यांगता, सड़क सुरक्षा, रक्तदान, अंगदान और जागरूकता के महत्व को समझाना है।
सोमवार को नारायणा अयोध्या से होते हुए सीतापुर पहुंचे। जहां जिलाधिकारी अभिषेक आनंद ने उनका आत्मीय स्वागत किया। जिला प्रशासन की ओर से उनके लिए भोजन, विश्राम व आवास की उचित व्यवस्था की गई। जिलाधिकारी ने उनके अभियान की सराहना करते हुए कहा कि नारायणा जैसे प्रेरणादायक व्यक्तित्व समाज को नई दिशा दे सकते हैं।
यात्रा नहीं, यह एक मिशन है
नारायणा ने बताया कि यह यात्रा उन्होंने महज भ्रमण के लिए नहीं, बल्कि एक सामाजिक संदेश देने के उद्देश्य से शुरू की थी। वे स्वयं दिव्यांग हैं, लेकिन उन्होंने अपनी शारीरिक स्थिति को कभी अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया। 18 वर्ष की आयु में उन्होंने यह यात्रा आरंभ की और 1978 से 1980 तक का पहला विश्व भ्रमण पूरा किया। अब तक वे गल्फ देशों, अफ्रीका, नॉर्थ अमेरिका, कनाडा,इंग्लैंड और अन्य कई देशों की यात्रा कर चुके हैं।
बचपन से बचाव तक, हर मोड़ पर संदेश
नारायणा का कहना है कि यदि समाज सजग हो जाए तो कई प्रकार की दिव्यांगता को रोका जा सकता है। उन्होंने सुझाव दिए कि बच्चों को समय पर पोलियो ड्रॉप्स दी जाएं, विवाह से पूर्व रक्त समूह की जांच अवश्य कराई जाए, बच्चों को कम उम्र में वाहन न दें, नशे की स्थिति में वाहन चलाने से बचें, वाहन चलाते समय मोबाइल फोन का प्रयोग न करें। दिव्यांगों को भी आत्मनिर्भर बनना होगा। उन्होंने यह भी अपील की कि जो लोग पहले से दिव्यांग हैं, वे गुणवत्ता पूर्ण उपकरणों का ही प्रयोग करें और अनावश्यक सरकारी छूटों की अपेक्षा न करें। आत्मनिर्भरता ही सच्चे सम्मान की राह है।
सीमित शिक्षा, असीम प्रेरणा

सिर्फ कक्षा 10 तक पढ़ाई करने वाले नारायणा ने यह सिद्ध कर दिया है कि सेवा, समर्पण और संकल्प के आगे शैक्षणिक डिग्रियां भी छोटी पड़ जाती हैं। वे कहते हैं, “मैं चाहता था कि कोई और बच्चा अपंग न हो, इसी सोच ने मुझे दुनिया में संदेश फैलाने के लिए प्रेरित किया। अब मेरा सपना धीरे-धीरे पूरा हो रहा है।”
एक ट्राई साइकिल, एक सपना, और अनगिनत संदेश
बी.वी. नारायणा की यह यात्रा पहियों पर चलती एक क्रांति है, जो हर उस व्यक्ति को झकझोरती है, जो समाज की भलाई को अपनी जिम्मेदारी नहीं मानता। उनकी कहानी केवल दिव्यांगों के लिए नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए एक प्रेरणा है।