
भास्कर ब्यूरो
- सपा नेता हरीश लाखा पर एक करोड़ की ठगी, बंधक बनाने और पांच करोड़ की रंगदारी का गंभीर आरोप
बरेली। एक बार फिर सियासत और संगीन अपराधों के गठजोड़ का गवाह बना है। समाजवादी पार्टी(सपा) के नेता हरीश लाखा पर गंभीर आपराधिक आरोप लगे हैं, जो यह दर्शाते हैं कि कैसे सत्ता की नजदीकियों का इस्तेमाल कर भू-माफिया कानून को खुली चुनौती देते हैं। यह मामला न सिर्फ आम नागरिकों की सुरक्षा और संपत्ति को लेकर गंभीर सवाल उठाता है, बल्कि राजनीतिक संरक्षण के साए में पलते आपराधिक नेटवर्क की भी पोल खोलता है।
डिप्टी सीएम की सख्ती के बाद मुकदमा
यह मामला तब तूल पकड़ गया जब पीड़ित राजकुमार निवासी मोहनपुर नकटिया ने डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य से मुलाकात कर पूरे घटनाक्रम की जानकारी दी। डिप्टी सीएम के निर्देश पर थाना कैंट में सपा नेता हरीश लाखा, चिन्मय, सौरभ, रजनीश समेत कुछ अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया। मुकदमे में धोखाधड़ी, अपहरण, रंगदारी, धमकी, बंधक बनाने और फर्जी दस्तावेजों के सहारे कब्जा करने जैसे गंभीर धाराएं शामिल की गई हैं।जमीन के सौदे के नाम पर एक करोड़ की ठगी
शिकायतकर्ता राजकुमार ने बताया कि जून 2024 में मेरठ निवासी चिन्मय के माध्यम से नवादा रजपुरी स्थित 3.86 हेक्टेयर जमीन की डील तय की गई थी। यह जमीन उनकी सास विजया की थी और सौदा 11.59 करोड़ रुपये में तय हुआ। सौदे की गंभीरता को देखते हुए एडवांस में एक करोड़ रुपये नगद दिए गए। लेकिन कुछ समय बाद चिन्मय और उसके साथियों ने बैनामा करने से इनकार कर दिया और सौदे को तोड़ दिया।17 अक्टूबर 2024 को चिन्मय अपने हथियारबंद गुर्गों के साथ अमर सिंह (राजकुमार के रिश्तेदार) के ऑफिस में जबरन घुसा। वहां डेढ़ घंटे तक अमर सिंह को बंधक बनाकर धमकाया गया कि अब यह जमीन सपा नेता हरीश लाखा को बेची जाएगी और अगर जमीन वापस चाहिए तो पांच करोड़ रुपये और देने होंगे। यह ब्लैकमेलिंग का खुला मामला था, जिसकी शिकायत तत्काल पुलिस से की गई, लेकिन रसूख के चलते कोई कार्रवाई नहीं हुई।
मामले की गंभीरता को देखते हुए राजकुमार ने कोर्ट से स्टे ले लिया। लेकिन मार्च 2025 में चिन्मय और उसके साथियों ने हथियारों के बल पर जबरन जमीन पर कब्जा करने की कोशिश की। जब राजकुमार मौके पर पहुंचे, तो न सिर्फ उन्हें धमकाया गया, बल्कि फोन पर खुद हरीश लाखा ने उन्हें गालियां दीं और अमर सिंह की हत्या की धमकी तक दे डाली।सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि कोर्ट का स्टे आदेश होने के बावजूद 6 मार्च 2025 को विजया चौधरी से कथित रूप से एक नया फर्जी इकरारनामा कराया गया। यह न सिर्फ न्यायपालिका की खुली अवमानना है, बल्कि यह दस्तावेज़ों की जालसाजी और संपत्ति पर अवैध कब्जे की साजिश का भी खुलासा करता है।
इधर जमीन की स्वामिनी विजया चौधरी ने भी पुलिस को शिकायत देकर कहा है कि सौदा एक लाख रुपये के एडवांस पर हुआ था, लेकिन बाकी रकम समय पर न मिलने पर उन्होंने एडवांस लौटा दिया और सौदा रद्द कर दिया। उन्होंने वीडियो सबूत भी देने का दावा किया है।पुलिस के सामने चुनौती
अब यह देखना अहम होगा कि क्या पुलिस इस मामले में निष्पक्ष जांच कर पाती है या नहीं? जो भी मुलजिम होता है उसके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई होगी या यह मामला भी रसूख और राजनीतिक दबाव की भेंट चढ़ जाएगा? पुलिस ने मामले की जांच सीओ फरीदपुर आशुतोष शिवम को सौंपी है और जल्द ही रिपोर्ट एसएसपी को सौंपी जाएगी।