‘बेटी खो गई, मदद मांगने गए थे’…लेकिन पुलिस ने पीड़ित परिवार को ही भगा दिया…जानें क्या है पूरा मामला

आगरा : आगरा में एक गंभीर मामला सामने आया है, जहां एक लड़की के लापता होने की शिकायत लेकर थाने पहुंचे परिजनों के साथ पुलिस ने कथित तौर पर मारपीट की और उन्हें भगा दिया। इस घटना ने स्थानीय प्रशासन और पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। परिजनों का आरोप है कि उनकी शिकायत को गंभीरता से लेने के बजाय, पुलिस ने उल्टा उन्हें ही प्रताड़ित किया। यह मामला सोशल मीडिया और स्थानीय समुदाय में चर्चा का विषय बन गया है।
मामले का विवरण
परिजनों के अनुसार, उनकी नाबालिग बेटी (नाम गोपनीय) कुछ दिनों से लापता है। उन्होंने तुरंत स्थानीय पुलिस स्टेशन में जाकर गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराने की कोशिश की। हालांकि, थाने में मौजूद पुलिसकर्मियों ने उनकी शिकायत को नजरअंदाज कर दिया। परिजनों का दावा है कि जब उन्होंने बार-बार शिकायत दर्ज करने की मांग की, तो पुलिसकर्मियों ने उनके साथ अभद्र व्यवहार किया, गाली-गलौज की, और शारीरिक रूप से मारपीट की। इसके बाद उन्हें थाने से जबरन भगा दिया गया।
एक परिजन ने बताया, “हम अपनी बेटी की सुरक्षा के लिए पुलिस के पास गए थे, लेकिन उन्होंने हमारी मदद करने के बजाय हमें ही अपमानित किया। हमारी बेटी अभी भी लापता है, और हमें कोई सहायता नहीं मिल रही।” इस घटना ने स्थानीय लोगों में आक्रोश पैदा कर दिया है, और कई लोग पुलिस की इस हरकत की निंदा कर रहे हैं।

इस मामले में अभी तक पुलिस की ओर से कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है। स्थानीय पुलिस स्टेशन के कुछ अधिकारियों ने अनौपचारिक रूप से कहा कि वे इस मामले की जांच कर रहे हैं, लेकिन उन्होंने मारपीट के आरोपों को खारिज किया। एक अधिकारी ने दावा किया कि परिजनों ने थाने में हंगामा किया, जिसके कारण उन्हें वहां से जाने के लिए कहा गया। हालांकि, इस दावे की स्वतंत्र पुष्टि नहीं हो सकी है।

इस घटना ने सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं पैदा की हैं। कई यूजर्स ने पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए इसे “शक्ति का दुरुपयोग” करार दिया। एक X यूजर ने लिखा, “पुलिस का काम लोगों की सुरक्षा करना है, न कि उन्हें डराना। यह शर्मनाक है कि एक लड़की के लापता होने की शिकायत पर ऐसी प्रतिक्रिया दी गई।”
स्थानीय सामाजिक संगठनों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने इस मामले में हस्तक्षेप की मांग की है। कुछ संगठनों ने जिला प्रशासन से इस मामले की उच्च स्तरीय जांच और दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। विपक्षी दलों ने भी इस मुद्दे को उठाते हुए सरकार पर निशाना साधा है। एक स्थानीय नेता ने कहा, “यह घटना दर्शाती है कि आम नागरिकों को न्याय के लिए कितनी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। सरकार को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए।”

भारत में किसी व्यक्ति के लापता होने की स्थिति में पुलिस को तुरंत FIR दर्ज कर जांच शुरू करनी होती है, खासकर अगर मामला नाबालिग का हो। उत्तर प्रदेश पुलिस की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, गुमशुदगी की शिकायत पर तत्काल कार्रवाई अनिवार्य है, जिसमें मिसिंग पर्सन ब्यूरो (MPB) को सूचित करना और जांच शुरू करना शामिल है। इस मामले में पुलिस की निष्क्रियता और कथित मारपीट कानून के उल्लंघन का गंभीर मामला हो सकता है।

मानवाधिकार विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की घटनाएं पुलिस प्रशासन में संवेदनशीलता और जवाबदेही की कमी को दर्शाती हैं। एक विशेषज्ञ ने कहा, “पुलिस का यह व्यवहार न केवल पीड़ित परिवार के प्रति अन्याय है, बल्कि यह लोगों का पुलिस पर भरोसा भी कम करता है। इस मामले में स्वतंत्र जांच और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई जरूरी है।”

स्थानीय समुदाय ने इस घटना के खिलाफ एकजुटता दिखाई है। कुछ लोगों ने विरोध प्रदर्शन की योजना बनाई है, जिसमें पुलिस स्टेशन के सामने धरना देने की बात कही जा रही है। समुदाय के नेताओं ने मांग की है कि लापता लड़की को जल्द से जल्द ढूंढा जाए और परिजनों को न्याय मिले।
इसी तरह के मामले
पुलिस द्वारा शिकायतकर्ताओं के साथ दुर्व्यवहार के मामले पहले भी सामने आए हैं। उदाहरण के लिए, 2016 में एक व्यक्ति ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर शिकायत दर्ज करने के दौरान मारपीट और अपमान का आरोप लगाया था। उस मामले में पुलिस ने कथित तौर पर रिश्वत मांगने की बात रिकॉर्ड करने पर शिकायतकर्ता को पीटा था। इस तरह की घटनाएं पुलिस सुधारों की तत्काल आवश्यकता को उजागर करती हैं।

परिजनों ने अब वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों और जिला प्रशासन से संपर्क करने का फैसला किया है। कुछ सामाजिक संगठनों ने इस मामले को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) तक ले जाने की बात कही है। साथ ही, लापता लड़की की तलाश के लिए स्थानीय लोग और संगठन स्वतंत्र रूप से प्रयास कर रहे हैं।

यह घटना न केवल एक परिवार की पीड़ा को दर्शाती है, बल्कि पुलिस प्रशासन की लापरवाही और असंवेदनशीलता को भी उजागर करती है। एक नाबालिग लड़की के लापता होने जैसे गंभीर मामले में पुलिस की यह प्रतिक्रिया निंदनीय है। इस मामले में त्वरित और पारदर्शी जांच, लापता लड़की की सुरक्षित वापसी, और दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई समय की मांग है। यह घटना समाज और प्रशासन के लिए एक चेतावनी है कि नागरिकों के अधिकारों और सुरक्षा को प्राथमिकता देना अनिवार्य है।

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