आगरा में गुंडागर्दी का तांडव : हफ्ता न देने पर ऑटो ड्राइवर को बेल्ट से पीटा

आगरा के साई की तकिया क्रॉसिंग पर एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहां एक गुंडे ने ऑटो ड्राइवर से चौथ (हफ्ता) वसूली की कोशिश की और नाकाम होने पर उसे बेल्ट से बेरहमी से पीटा। इस घटना ने स्थानीय लोगों में दहशत पैदा कर दी है और पुलिस प्रशासन की निष्क्रियता पर सवाल खड़े किए हैं। यह मामला आगरा में बढ़ती गुंडागर्दी और असामाजिक तत्वों के हौसले को दर्शाता है।
घटना का विवरण
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, साई की तकिया क्रॉसिंग पर एक ऑटो ड्राइवर अपने ऑटो में सवारी का इंतजार कर रहा था। तभी एक स्थानीय गुंडा, जिसे इलाके में पहले भी ऐसी गतिविधियों के लिए जाना जाता है, वहां पहुंचा और ड्राइवर से चौथ वसूलने की मांग की। चौथ, जिसे हफ्ता वसूली भी कहा जाता है, एक तरह की जबरन उगाही है, जो असामाजिक तत्व छोटे व्यापारियों और ड्राइवरों से वसूलते हैं।
जब ऑटो ड्राइवर ने पैसे देने से इनकार किया और इसका विरोध किया, तो गुंडे ने गुस्से में आकर उस पर हमला कर दिया। उसने अपनी बेल्ट निकाली और ड्राइवर को सड़क पर ही बेरहमी से पीटना शुरू कर दिया। आसपास के लोगों ने बताया कि ड्राइवर चीखता रहा, लेकिन गुंडे ने उसे नहीं बख्शा। इस दौरान कुछ लोग मौके पर इकट्ठा हुए, लेकिन डर की वजह से किसी ने बीच-बचाव करने की हिम्मत नहीं दिखाई।
पुलिस की प्रतिक्रिया
घटना की सूचना मिलने के बाद स्थानीय पुलिस मौके पर पहुंची और मामले की जांच शुरू की। पुलिस ने ऑटो ड्राइवर की शिकायत पर गुंडे के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना), 506 (आपराधिक धमकी), और 384 (उगाही) के तहत मामला दर्ज किया। पुलिस ने बताया कि आरोपी की पहचान कर ली गई है और उसे जल्द गिरफ्तार करने के लिए छापेमारी की जा रही है।
हालांकि, स्थानीय लोगों ने पुलिस की निष्क्रियता पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि साई की तकिया क्रॉसिंग और आसपास के इलाकों में इस तरह की उगाही और गुंडागर्दी पहले भी होती रही है, लेकिन पुलिस ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। एक स्थानीय दुकानदार ने कहा, “ये गुंडे रोज छोटे-मोटे काम करने वालों को डराते हैं। पुलिस को पहले ही इन पर नकेल कसनी चाहिए थी।”
समुदाय में आक्रोश
इस घटना ने स्थानीय ऑटो ड्राइवरों और छोटे व्यापारियों में आक्रोश पैदा कर दिया है। कई ड्राइवरों ने बताया कि उन्हें नियमित रूप से इस तरह की उगाही का सामना करना पड़ता है, और विरोध करने पर मारपीट या धमकी दी जाती है। ऑटो ड्राइवर यूनियन के एक सदस्य ने कहा, “हम दिन-रात मेहनत करके अपने परिवार का पेट पालते हैं। लेकिन इन गुंडों की वजह से हमारी कमाई का बड़ा हिस्सा हफ्ते मेंਰ
ऑटो ड्राइवर यूनियन ने इस घटना की निंदा की और मांग की कि प्रशासन इस मामले में सख्त कार्रवाई करे। यूनियन ने यह भी धमकी दी कि अगर दोषी को जल्द गिरफ्तार नहीं किया गया, तो वे सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन करेंगे।
सामाजिक और राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
सोशल मीडिया पर इस घटना की व्यापक निंदा हो रही है। कई यूजर्स ने इसे आगरा में कानून-व्यवस्था की खराब स्थिति का उदाहरण बताया। एक X यूजर ने लिखा, “साई की तकिया जैसे व्यस्त इलाके में दिनदहाड़े इस तरह की गुंडागर्दी शर्मनाक है। पुलिस कहां है?” एक अन्य यूजर ने लिखा, “छोटे कामगारों से हफ्ता वसूली आम बात हो गई है। सरकार को इस माफिया राज को खत्म करना होगा।”
स्थानीय राजनीतिक नेताओं ने भी इस मुद्दे को उठाया है। विपक्षी दलों ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि राज्य में कानून-व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है। एक स्थानीय नेता ने कहा, “यह घटना दिखाती है कि आम आदमी की सुरक्षा के लिए कोई इंतजाम नहीं है। सरकार को तुरंत कदम उठाने चाहिए।”
विशेषज्ञों की राय
सामाजिक कार्यकर्ताओं और विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की घटनाएं संगठित अपराध का हिस्सा हैं, जिन्हें स्थानीय पुलिस और प्रशासन के संरक्षण के बिना चलाना मुश्किल है। एक सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा, “हफ्ता वसूली एक बड़ा रैकेट है, जिसमें कई बार पुलिस और स्थानीय नेताओं की मिलीभगत होती है। इसकी जड़ तक जाने के लिए स्वतंत्र जांच जरूरी है।”
इसी तरह के मामले
आगरा और उत्तर प्रदेश के अन्य हिस्सों में हफ्ता वसूली और गुंडागर्दी के मामले पहले भी सामने आ चुके हैं। 2023 में, आगरा के ही एक बाजार में दुकानदारों ने स्थानीय गुंडों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था, जब उनसे नियमित रूप से चौथ वसूली जा रही थी। उस मामले में कुछ गिरफ्तारियां हुईं, लेकिन समस्या का स्थायी समाधान नहीं निकला।
आगे की राह
पुलिस ने दावा किया है कि वह इस मामले को गंभीरता से ले रही है और जल्द ही आरोपी को गिरफ्तार कर लिया जाएगा। इसके अलावा, स्थानीय प्रशासन ने साई की तकिया क्रॉसिंग और आसपास के इलाकों में पुलिस गश्त बढ़ाने का वादा किया है। हालांकि, स्थानीय लोग और ऑटो ड्राइवर इस वादे पर संदेह जता रहे हैं, क्योंकि पहले भी ऐसे वादे किए गए थे, लेकिन स्थिति में कोई खास सुधार नहीं हुआ।

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