
नासा के वैज्ञानिक एक नई और अत्याधुनिक क्वांटम सेंसर तकनीक पर काम कर रहे हैं, जिसे क्वांटम ग्रेविटी ग्रैडियोमीटर पाथफाइंडर (QGGPf) कहा जाता है। यह सेंसर पृथ्वी की निचली कक्षा से गुरुत्वाकर्षण में होने वाले हल्के बदलावों को मापने में सक्षम होगा। यह तकनीक न केवल अद्वितीय है, बल्कि इसे अंतरिक्ष आधारित गुरुत्वाकर्षण माप के लिए पहली बार उपयोग किया जाएगा।
कैसे काम करेगा यह सेंसर?
इस नई तकनीक में परमाणुओं के बादलों को अत्यधिक ठंडा करके स्वतंत्र रूप से गिराया जाता है। इन परमाणुओं को लेजर की मदद से दो भागों में विभाजित किया जाता है और फिर वे वापस मिलते हैं। जब ये परमाणु आपस में मिलते हैं, तो उनके बीच हल्का हस्तक्षेप होता है। इसी हस्तक्षेप से वैज्ञानिक पता लगाते हैं कि गुरुत्वाकर्षण में कितना बदलाव हुआ है। यह तकनीक पारंपरिक तरीकों से कहीं अधिक संवेदनशील और सटीक है। इसके अलावा, यह पर्यावरणीय प्रभावों से भी कम प्रभावित होती है, जिससे अधिक विश्वसनीय परिणाम मिलते हैं।
संभावनाएं और फायदे
इस नई तकनीक के जरिए वैज्ञानिक पृथ्वी के भीतर मौजूद विभिन्न संसाधनों जैसे जल स्रोतों, खनिजों और टेक्टोनिक प्लेटों की गतिविधियों का अध्ययन कर सकते हैं। इसके अलावा, यह तकनीक हिमालय जैसे भारी क्षेत्रों के गुरुत्वाकर्षण में होने वाले बदलावों को भी मापने में सक्षम होगी। इससे विभिन्न महत्वपूर्ण क्षेत्रों जैसे नेविगेशन, संसाधन प्रबंधन और राष्ट्रीय सुरक्षा में भी मदद मिल सकती है।
आगे का रास्ता
वैज्ञानिकों का मानना है कि यह तकनीक क्वांटम तकनीक के और विकास के लिए एक मील का पत्थर साबित हो सकती है। नासा इस सेंसर का परीक्षण अंतरिक्ष में इस दशक के अंत तक करने की योजना बना रहा है।
नासा की यह नई तकनीक न केवल पृथ्वी के बारे में अधिक जानकारी प्रदान करेगी, बल्कि यह क्वांटम तकनीक के भविष्य को भी आकार देने में मदद करेगी।