
रॉयटर्स, दुबई। यमन के हूती विद्रोहियों ने गंभीर आरोप लगाया है कि अमेरिका ने रास इस्सा तेल बंदरगाह पर उनके ठिकानों पर हवाई हमला किया है। इस आत्मघाती हमले के परिणामस्वरूप कम से कम 38 लोग मारे गए हैं और 102 अन्य घायल हो गए हैं। यह हमला अमेरिकी सेना की सेंट्रल कमांड द्वारा भी पुष्टि किया गया है।
बताया जा रहा है कि यह हमला राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पदभार ग्रहण करने के बाद से मध्य पूर्व में हूती विद्रोहियों के खिलाफ किया गया सबसे बड़ा सैन्य अभियान है। रास इस्सा तेल बंदरगाह पर हुए इस हवाई हमले ने क्षेत्र में स्थिति को और भी तनावपूर्ण बना दिया है।
अमेरिका ने इस कार्रवाई को हूती विद्रोहियों के खिलाफ एक आवश्यक कदम बताया है, जो पिछले कई वर्षों से यमन में बढ़ते संघर्ष और आतंकवादी गतिविधियों में शामिल रहे हैं। हालांकि, इस हमले के परिणामों ने कई मानवाधिकार संगठनों और वैश्विक समुदाय के बीच चिंता बढ़ा दी है, जिसमें नागरिक हताहतों की संख्या बढ़ने का खतरा शामिल है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रकार की सैन्य कार्रवाई से क्षेत्र में हिंसा और अस्थिरता बढ़ सकती है, जबकि शांति की कोशिशों को एक बार फिर से झटका लग सकता है। ऐसे में यह देखना होगा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस स्थिति पर क्या प्रतिक्रिया देता है और भविष्य में यमन के संकट को कैसे निपटा जाता है।