
लखीमपुर खीरी। जिले के ईसानगर क्षेत्र में फर्जी दस्तावेज़ों के जरिए सरकारी नौकरी पाने और उसे वर्षों से बरकरार रखने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। बीते वर्ष एक आरटीआई कार्यकर्ता की शिकायत पर पूनम देवी नामक आंगनबाड़ी कार्यकत्री के खिलाफ पहला मुकदमा दर्ज हुआ था। लेकिन अब उसी मामले में फर्जी प्रमाण पत्रों और नए सबूत सामने आने पर बीती रात एक और मुकदमा पूनम देवी आंगनवाड़ी कार्यकत्री और प्रियंका कुमारी सीडीपीओ के खिलाफ दर्ज कर लिया गया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, पूनम देवी नामक महिला ने वर्ष 2007 में आंगनबाड़ी कार्यकत्री पद पाने के लिए फर्जी अंकपत्र प्रस्तुत किया था। इस मामले में पहले ही शिकायतकर्ता श्यामकिशोर मौर्य की तहरीर पर धोखाधड़ी समेत कई धाराओं में मुकदमा दर्ज हो चुका था।
लेकिन इस पूरे घोटाले की परतें अभी और खुलना बाकी थीं। बीती रात फिर से एक नया मुकदमा कर लिया गया गया है। दर्ज जानकारी के अनुसार पूनम देवी ने नौकरी बचाने के लिए फर्जी निवास प्रमाण पत्र तैयार कराया था। इस फर्जी प्रमाणपत्र को बनवाने में विभागीय अधिकारी व स्थानीय पंचायत पदाधिकारियों की भूमिका भी शक के घेरे में है।
फर्जी निवास प्रमाणपत्र से नौकरी जारी रखने का खेल
श्यामकिशोर मौर्य का कहना है कि पूनम देवी ने अपने वास्तविक पते को छुपाकर समैसा गाँव का फर्जी निवासी बनने का प्रमाण पत्र तैयार कराया। लेखपाल से लेकर पंचायत सदस्यों ने इस फर्जी दस्तावेज़ पर अपनी रिपोर्ट लगा दी और अधिकारियों ने बिना सत्यापन के प्रमाण पत्र जारी कर दिया।
जांच के दौरान यह प्रमाण पत्र फर्जी साबित हुआ और उप जिला अधिकारी धौरहरा ने 19 जुलाई 2024 को इसे निरस्त कर दिया। इसके बावजूद पूनम देवी आंगनबाड़ी कार्यकत्री पद पर कार्यरत हैं।
परियोजना अधिकारी पर संरक्षण देने का आरोप
प्रार्थी ने जब इस पूरे घोटाले की शिकायत बाल विकास परियोजना अधिकारी प्रियंका कुमारी से की तो उन्होंने कार्रवाई से इनकार कर दिया। आरोप है कि उनकी शह पर ही पूनम देवी ने समैसा ग्राम की आंगनबाड़ी में नौकरी पाई और आज तक बनी हुई हैं।
बीती रात हुआ नया मुकदमा दर्ज, सौंपी गई जांच
इस गंभीर फर्जीवाड़े पर कार्रवाई करते हुए ईसानगर पुलिस ने बीती रात फिर से संबंधित धाराओं के तहत नया मुकदमा दर्ज कर लिया है। केस की जांच उपनिरीक्षक राजकुमार सरोज को सौंपी गई है।