
- राज्य में रोजगार और अर्थव्यवस्था का द्वार खोलेगी ऐतिहासिक धरोहरें
लखनऊ । उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग ने राज्य की ऐतिहासिक विरासतों को नया जीवन देने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। विभाग अब 11 और विरासत संपत्तियों को एडाप्टिव रियूज के तहत विकसित करने जा रहा है। निजी निवेशकर्ताओं की सहभागिता के लिए गुरुवार को निविदा जारी की गई है।
पहले चरण में ऐतिहासिक स्थलों के संरक्षण और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए निजी निवेशकों के साथ मिलकर कार्य शुरू किया है।
इसके अंतर्गत विभाग द्वारा नीमराना होटल्स प्राइवेट लिमिटेड (राजस्थान) के साथ बरुआसागर किला झांसी, गोल्डन ट्रायंगल फोर्ट एंड पैलेस प्रा.लि. (राजस्थान) के साथ चुनार किला मिर्जापुर, छतर मंजिल और कोठी रोशन-उद-दौला लखनऊ तथा रेडवुड होल्डिंग एंड रियल्टी सर्विस प्रा. लि. (बेंगलुरु) के साथ कानपुर देहात में शुक्ला तालाब के निकट बारादरी विकास के लिए कंसेशन एग्रीमेंट किया गया है।
पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि इन ऐतिहासिक किलों, महलों और हवेलियों के संरक्षण व पुनः उपयोग की इस योजना का उद्देश्य न केवल इन धरोहरों को सहेजना है, बल्कि राज्य की संस्कृति, स्थानीय व्यंजन और हस्तशिल्प को भी बढ़ावा देना है। विरासत संपत्तियों के नजदीक स्थित एक-एक गांव को गोद लेकर वहां का विकास किया जाएगा।
विभाग के इस पहल से स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे साथ ही प्रदेश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। उत्तर प्रदेश की संस्कृति एवं हस्तशिल्प को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने में सहायता मिलेगी। उ0प्र0 पर्यटन विभाग की इस योजना से प्रदेश के पर्यटन को एक नई दिशा मिलने की उम्मीद है।
पर्यटन मंत्री ने बताया कि प्रदेश सरकार राज्य की ऐतिहासिक धरोहरों को पर्यटन से जोड़ने की दिशा में सक्रिय पहल कर रही है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में अनेक किले, महल और हवेलियां मौजूद हैं, जिन्हें विरासत के साथ विकास मिशन के तहत और अधिक आकर्षक तथा उपयोगी बनाने की दिशा में काम किया जा रहा है।
उन्होंने कहा, सरकार की पर्यटन नीतियां सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल पर आधारित हैं। इसके तहत इन धरोहर स्थलों को हेरिटेज होटल, सार्वजनिक संग्रहालय (पब्लिक म्यूज़ियम), कॉन्फ्रेंस व आयोजन केंद्र (डप्ब्म् सेंटर) आदि के रूप में पुनर्विकसित किया जा रहा है। सरकार का उद्देश्य इन ऐतिहासिक स्थलों को न केवल संरक्षित करना है, बल्कि उन्हें आज के दौर की जरूरतों के अनुसार उपयोगी भी बनाना है।
जयवीर सिंह ने बताया कि सरकार ने राज्य की ऐतिहासिक धरोहरों को संरक्षित और विकसित करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। गुरुवार को 11 हेरिटेज प्रॉपर्टीज के विकास के लिए निविदा जारी की गई है। इन स्थलों में 1857 की क्रांति से जुड़ा टहरौली किला (झांसी) प्रमुख है। यह किला झांसी की ऐतिहासिक विरासत का अहम हिस्सा रहा है।
इसी कड़ी में महोबा जिला स्थित मस्तानी महल, जो पेशवा बाजीराव प्रथम की पत्नी मस्तानी से जुड़ा है, जो अपने अनोखे स्थापत्य और ऐतिहासिक महत्व के लिए विख्यात है। इसी जिले में सेनापति महल, कुलपहाड़ भी शामिल है, जिसकी भव्य वास्तुकला अतीत की शाही जीवनशैली की झलक प्रस्तुत करता है। ललितपुर जिले का बालाबेहट किला भी इस सूची में है, जो अपनी सामरिक स्थिति और स्थापत्य कला के लिए प्रसिद्ध है।
पर्यटन मंत्री ने बताया कि इसी तरह रंगगढ़ किला बांदा, जो कि क्षेत्र की ऐतिहासिक धरोहर का प्रतीक है। इसकी स्थापत्य कला बेजोड़ है। इसी तरह वजीरगंज की बारादरी गोंडा, जो कि मुगल कालीन बारादरी शैली में निर्मित यह स्मारक अपने 12 दरवाजों और भव्यता के लिए जाना जाता है। आलमबाग भवन लखनऊ, जो कि नवाब वाजिद अली शाह द्वारा निर्मित यह भवन मुगल और औपनिवेशिक स्थापत्य का अद्भुत मिश्रण है। गुलिस्तान-ए-इरम और दर्शन विलास लखनऊ, ये दोनों इमारतें शानदार बागों और बारीक वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है।
उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने कहा कि राज्य ऐतिहासिक विरासतों में समृद्ध है। यहां विरासत पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मार्गदर्शन में बुंदेलखंड क्षेत्र के ऐतिहासिक स्थलों का पुनरुद्धार उनकी मूल भव्यता को बनाए रखते हुए किया जाएगा। राज्य सरकार इन धरोहर स्थलों को संरक्षित करने और उन्हें पुनः उपयोगी बनाने के लिए दृढ़ संकल्पित है। इन प्रयासों से न केवल सांस्कृतिक धरोहरों का संरक्षण होगा, बल्कि राज्य की आर्थिक आय के स्रोत भी सुदृढ़ होंगे।