
उत्तराखंड में इस बार पंचायत चुनावों पर चारधाम यात्रा का ब्रेक लग सकता है। मंगलवार को हुई राज्य कैबिनेट की बैठक में ओबीसी आरक्षण को लेकर कोई अध्यादेश पेश नहीं किया गया, जिससे पंचायत चुनावों की प्रक्रिया में और देरी की आशंका गहराने लगी है।
एक जून को खत्म हो रहा प्रशासकों का कार्यकाल
प्रदेश में हरिद्वार को छोड़ बाकी 12 जिलों में पंचायत चुनाव होने हैं। लेकिन एक जून को जिला पंचायतों में तैनात प्रशासकों का कार्यकाल खत्म हो रहा है। मौजूदा हालात को देखते हुए तय समय पर चुनाव कराना मुश्किल दिख रहा है। प्रशासन के सूत्रों के मुताबिक यदि आरक्षण की प्रक्रिया समय पर पूरी नहीं होती है, तो प्रशासकों का कार्यकाल बढ़ाया जा सकता है।
आरक्षण प्रक्रिया में लग सकता है लंबा समय
पंचायत चुनावों से पहले ओबीसी आरक्षण तय करने के लिए पंचायत एक्ट में संशोधन अनिवार्य है। इसके बाद शासनादेश जारी होगा और आरक्षण प्रतिशत तय किया जाएगा। इस प्रक्रिया के बाद अनंतिम सूची प्रकाशित की जाएगी, जिस पर आपत्तियां मांगी जाएंगी और उनका निपटारा किया जाएगा। फिर अंतिम आरक्षण सूची के आधार पर अधिसूचना जारी की जाएगी।
इस पूरी प्रक्रिया में काफी समय लग सकता है, जबकि इसी दौरान राज्य में चारधाम यात्रा की तैयारियां जोरों पर होंगी। ऐसे में प्रशासनिक मशीनरी का एक बड़ा हिस्सा यात्रा प्रबंधन में व्यस्त रहेगा।
सरकार और आयोग का क्या कहना है?
पंचायती राज विभाग के सचिव चंद्रेश कुमार का कहना है कि विभाग की तैयारियां लगातार जारी हैं और चुनाव कराने के लिए 28 दिन का वक्त चाहिए, जो उनके अनुसार अभी उपलब्ध है।
वहीं राज्य निर्वाचन आयुक्त सुशील कुमार का कहना है कि चुनाव तभी कराए जा सकते हैं, जब सरकार की ओर से आरक्षण की प्रक्रिया पूरी कर उन्हें सूची सौंपी जाए। अभी आरक्षण का निर्धारण नहीं हुआ है, इसलिए आयोग चुनाव प्रक्रिया शुरू नहीं कर सकता।